Delihi Police Kissa Khaki Ka Complete 100 Eposide Opines
Kissa Khaki Ka podcast ( Image Source : Social Media )
दिल्ली पुलिस ने ‘किस्सा खाकी का’ से साल 2022 में 16 जनवरी में डिजिटल की दुनिया में एक नया कदम रखा था. दिल्ली पुलिस ने इस पॉडकास्ट का नाम दिया था ‘किस्सा खाकी का’. ‘किस्सा खाकी का’ के माध्यम से दिल्ली पुलिस क्राइम, इन्वेस्टिगेशन और अनसुनी कहानियां ऑडियो के माध्यम से सफल और रियल कहानियों को लोगों तक पहुंचाती है. इस पॉडकास्ट ने खूब चर्चा बटोरी है और अब किस्सा खाकी का ने 100 एपिसोड को पूरा कर लिया है.
‘किस्सा खाकी का’ की कहानी
दरअसल, ‘किस्सा खाकी का’ एक परिकल्पना थी लेकिन ये इतनी जल्दी अपनी पहचान बना पाएगा, ये अंदाजा नहीं था. 2021 में जब इसका आइडिया दिया तब उस समय पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना थे. राकेश अस्थाना को यह आइडिया पसंद आया और उन्होंने आइडिया पर हामी भर दी, फिर 2022 में इस सफर की शुरुआत की गई. 16 जनवरी 2022 को पहला पॉडकास्ट किया गया. पहला पॉडकास्ट सवा दो मिनट का था. दिल्ली पुलिस की सोशल मीडिया टीम जिसके पास बहुत सी जिम्मेदारीयों के अलावा पॉडकास्ट की भी जिम्मेदारी दी गई, उस समय थोड़ी झिझक होती थी कि इतना कर पाएंगे क्या? किस्सा खाकी का ने भारत में एक रिकॉर्ड बना दिया है, क्योंकि किसी भी पुलिस फोर्स के पास अब तक ऐसा कोई पॉडकास्ट नहीं है जो नियमित तौर पर चलता हो.
तिनका-तिनका रेडियो उन लोगों की बात करता है जो जेल के अंदर है, जबकि ‘किस्सा खाकी का’ उसकी बात करता है जो अपराध करते है और जिन्हें पुलिस जेल तक पहुंचाती है. दोनों ही चीजें हमें सीखाने वाली है. जब तिनका-तिनका का जन्म हुआ फिर तिनका-तिनका जेल रेडियो आया, तब ऐसा लगा कि ये आवाजों की दुनिया दिल को छू रही है और इसी वजह से ‘किस्सा खाकी का’ जन्म हुआ. तत्कालीन पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने किस्सा खाकी को बहुत सपोर्ट किया है. पिछले साल जब 50 एपिसोड पूरा हुआ और किस्सा खाकी को 1 साल हुआ तब पुलिस हेडक्वार्टर में एक भव्य समारोह भी हुआ था.
‘किस्सा खाकी का’ की यात्रा क्या है
पुलिस के बारे में बहुत कम बातें होती है लेकिन लोग उनके नाम को नहीं जानते. कई बार बड़ी-बड़ी टीम किसी बड़े मामलें को सुलझाती है तो उन अनसुनी सुरों को जगह मिली ये सबसे सुखदायी अनुभव है. सौवें एपिसोड पर यहीं बताया गया है कि किस्सा खाकी का की यात्रा क्या है और इस पूरी कथावाचन के पीछे जो दुनिया है वो कैसे काम करती है. सौवें एपिसोड में पुलिस हेडक्वार्टर में सोशल मीडिया टीम स्टोरी की तालाश करती है. उसके बाद जो स्टोरी बेहतर लगती है, ताजा होती है, उसे वेरिफाई किया जाता है. उसके बाद उसका चयन किया जाता है. फिर काम आता है उस स्टोरी को लिखने का.
दिल्ली पुलिस की सोशल मीडिया टीम न्यूज रूम की तरह ही काम करती है. जब स्टोरी सलेक्ट की जाती है तब सोशल मीडिया टीम उसी तरह से लिखने का प्रयास करती है. कोशिश यही रहती है कि स्टोरी ऐसी हो जो वॉइस ओवर में ही सवा दो मिनट में ही किसी तरह सुलझ जाए. उसके बाद पोस्टर का काम किया जाता है, हेडलाइन बनाई जाती है. साथ ही इस बात पर खास ध्यान रखा जाता है कि आखिर पोस्टर में ऐसे क्या एलिमेंट्स दिए जाए जो उस स्टोरी को और भी ज्यादा प्रभावशाली बनाए. उसी कड़ी में वॉइस ओवर होता है. गुरूवार को स्टोरी तैयार करते है और शुक्रवार को प्रोमो रिलीज किया जाता है. रविवार को दोपहर दो बजे किस्सा खाकी का जनता के सामने आता है.
खाकी ऐसे काम भी करती है जो उनके काम का हिस्सा नहीं है
एक रियलिटी ये भी है कि खाकी बहुत से ऐसे काम करती है जो उनके काम का हिस्सा है. लेकिन कई बार ऐसे भी काम करती है जो सीधे तौर पर उनके काम का हिस्सा नहीं है, जैसे कि सड़क पर कोई बीमार हो गया तो उसे पुलिस अपनी वैन में लेकर जाती है. अगर किसी को खून की जरूरत है और खून देने के लिए कोई नहीं मिल रहा तो किसी पुलिसकर्मी ने जाकर ब्लड डोनेट किया. किसी के घर में अचानक आग लग गई है और उसमें कोई फंस गया है तो उसे सुरक्षित निकालना. कई बार ऐसा भी होता है कि पुलिस ऐसे कई सारे काम करती है जो समितियोंं को करनी चाहिए, या घर के लोगों को करना चाहिए, या फिर किसी और विभाग को. ये काम सीधे तौर पर पुलिस के काम नहीं है.
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