Delhi University Professor GN Saibaba Death Profile UAPA Naxalite Allegation Know About Him
GN Saibaba Death: दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईंबाबा का निधन शनिवार, 12 अक्तूबर शाम को हैदराबाद के निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (NIMS) में पोस्ट-ऑपरेटिव जटिलताओं की वजह से हो गया. उनकी उम्र 57 वर्ष थी.
साईंबाबा को 10 दिन पहले तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था और शनिवार शाम 8 बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें 8:30 बजे मृत घोषित कर दिया गया.
नक्सली लिंक के आरोप और कानूनी जंग
साईंबाबा को 2014 में महाराष्ट्र पुलिस ने नक्सली कनेक्शन के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था लेकिन मार्च 2024 में उन्हें नागपुर हाईकोर्ट से बरी कर दिया गया. अदालत ने उनके खिलाफ आरोपों को नकारते हुए यह फैसला दिया कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में नाकाम रहा. इससे पहले, मार्च 2017 में महाराष्ट्र की एक सत्र न्यायालय ने उन्हें और पांच अन्य लोगों को नक्सलियों से जुड़े होने के आरोप में दोषी करार दिया था. उन्हें और उनके साथियों को देश के खिलाफ साजिश करने का दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई थी.
इसी साल मार्च में जीएन साईबाबा को यूएपीए कानून के आरोपों से बरी किया गया था. वह करीब दस साल की सजा काटने के बाद जेल से बाहर आए थे. बरी किए जाने के बाद दिल्ली में हरकिशन सिंह सुरजीत भवन में भाषण देते हुए उन्होंने कहा था, “मुझे कुछ सूझ नहीं क्योंकि मुझे अभी भी लग रहा है कि मैं अपने ‘अंडा’ सेल में हूं. मैं रिहा होने के बाद भी हकीकत से उबर नहीं पा रहा हूं. मैं अपने आसपास से तालमेल बिठा नहीं पा रहा हूं.”
जेल में बिताए दिनों का दर्द
अपनी मां के आखिरी दिनों में उनसे न मिल पाने के गम को लेकर उन्होंने कहा था, “एक विकलांग बच्चा होने की वजह से मेरी मां मुझे अपनी गोद में स्कूल ले जाती थी, ताकि उनका बच्चा शिक्षा पा सके. मैं उनसे उनके अंतिम समय से पहले मिल भी न सका. मेरा पेरोल खारिज कर दिया गया. उनके निधन के बाद, मुझे उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भी पेरोल देने से इनकार कर दिया गया.”
जेल के दिनों के याद करते हुए उन्होंने कहा था, “मेरे सेल तक कोई पहुंच नहीं सकता था, उसमें अलग से कोई टॉयलेट नहीं था. वहां एक छोटी से छेद थी लेकिन व्हीलचेयर की पहुंच वहां तक नहीं थी. तब वहां दो लड़के मुझे स्नान कराने टॉयलेट ले जाते थे. मैं खुद से एक गिलास पानी भी नहीं ले सकता था. व्हीलचेयर जेल की कोठरी में चल नहीं सकती थी. कोई कितने साल तक ऐसी जिंदगी जी सकता है?”
व्हील चेयर खरीदने के नहीं थे पैसे
साईंबाबा बचपन से विकलांग थे और व्हील चेयर पर पूरी तरह निर्भर थे. उन्हें पांच साल की उम्र में पोलियो हो गया था. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि जब वह 2003 में दिल्ली आए तो उनके पास व्हीलचेयर खरीदने तक के पैसे नहीं थे. जी. एन. साईंबाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे. उन्होंने 2003 में इस कॉलेज में जॉइन किया था. हालांकि, 2014 में नक्सली कनेक्शन के आरोप में उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें कॉलेज से निलंबित कर दिया गया था.
ये भी पढ़ें:
Remote Weapon Agniastra: भारतीय सेना को मिला ‘अग्निअस्त्र’, अब थर-थर कांपेगे दुश्मन