Delhi High Court upheld punishment of Accused on Woman Harassment Case 2015 Also Comments on Womens Safety ANN
Delhi Woman Harassment Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिए एक फैसले में सार्वजनिक स्थानों, विशेष रूप से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी गंभीर चुनौतियों को उजागर किया. दिल्ली हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति को एक महिला की मर्यादा भंग करने का दोषी ठहराया और इस बात पर चिंता जताई कि महिलाएं आज भी लगातार उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं.
यह मामला अक्टूबर 2015 का है, जब एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि एक व्यक्ति ने बस में अश्लील इशारे किए और जबरदस्ती उसे किस लिया. यह बस नजफगढ़ के खैरा मोड़ से जनकपुरी जिला केंद्र की ओर जा रही थी. महिला ने अक्टूबर 2015 में इस घटना को लेकर दिल्ली पुलिस से शिकायत कर FIR दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया कि जब वह बस में चढ़ी तो आरोपी ने अश्लील इशारे किए और आंख मारी. बाद में जब वह बस से उतर रही थी, तो उसने जबरदस्ती उसे किस कर लिया.
दिल्ली HC ने की अहम टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में कहा, ”मौजूदा मामले में पेश किए गए तमाम तथ्य एक बेहद चिंताजनक वास्तविकता को दर्शाते हैं. आजादी के बाद भी महिलाएं सार्वजनिक स्थान विशेष रूप से सार्वजनिक परिवहन में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पाती हैं.”
अदालत ने आगे कहा, ”महिलाओं की गरिमा और व्यक्तिगत स्वायत्तता की रक्षा के लिए कठोर कानून होने के बावजूद भी इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि अपराधी इतने दुस्साहसी हो गए हैं कि उन्हें सजा से बच निकलने की उम्मीद होती है.” दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पेश तथ्य यह बताते हैं कि आज भी लड़कियां सार्वजनिक स्थानों पर खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं.”
आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को HC में दी थी चुनौती
दिल्ली हाई कोर्ट में आरोपी ने सेशन कोर्ट के अप्रैल 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी. निचली अदालत ने आरोपी की दोष सिद्ध को बरकरार रखते हुए आईपीसी की धारा 354 (महिला की मर्यादा भंग करना) और 509 (शब्दों, इशारों या हरकतों के ज़रिए महिला की मर्यादा का अपमान करना) के तहत 1 साल 6 महीने की सजा दी थी. आरोपी को कोर्ट ने नवंबर 2019 में दोषी ठहराया था और अप्रैल 2024 में सेशन कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा था.
दिल्ली HC में दोषी ने दी अपने बचाव में दलील
दिल्ली हाई कोर्ट में आरोपी ने दलील दी कि वह महिला का अजनबी था और सार्वजनिक स्थान पर उसकी मर्यादा भंग करने की हिम्मत नहीं कर सकता था. उसने यह भी दावा किया कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है क्योंकि पीड़िता के पिता पुलिस अधिकारी हैं. आरोपी ने यह भी आरोप लगाया कि निचली अदालत ने साक्ष्यों की सही ढंग से समीक्षा नहीं की, जिससे उसे गलत तरीके से दोषी ठहराया गया, जबकि वह निर्दोष था.
दिल्ली पुलिस के वकील ने कोर्ट में क्या कहा?
दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट को बताया, ”आरोपी के खिलाफ आरोप गंभीर और संगीन हैं. कोर्ट ने सभी साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए ही उसे दोषी ठहराया है.” अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि घटना के समय वहां मौजूद गवाहों ने आरोपी के खिलाफ गवाही दी थी.
दिल्ली पुलिस की दलील मानते हुए हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा, ”आरोपी के कार्यों से यह बात साफ होती है कि उसने इशारों, आपराधिक बल और हमले का प्रयोग कर महिला की मर्यादा भंग की. ये कृत्य न केवल अश्लील थे बल्कि पीड़िता की गरिमा और मर्यादा को गहरे स्तर पर आहत करने वाले थे.”
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