Delhi High Court rejects Delhi Police plea in 1984 Sikh Riots Case Said Appeal delayed for 29 years ANN
Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में 16 आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा 29 साल से अधिक की देरी से दायर अपील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. जस्टिस प्रतिभा सिंह और जस्टिस सौरभ बनर्जी की बेंच ने अपने आदेश में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा पहले स्थापित मिसाल पर भरोसा किया. जहां उसने 1984 के दंगा मामलों में बरी किए गए लोगों के खिलाफ अपील दायर करने में हुई देरी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था.
हाई कोर्ट पहले ही दिल्ली पुलिस की चार ऐसी अपीलों को खारिज कर चुका है, जहां अपील दायर करने में 27 से 36 साल की देरी हुई थी, क्योंकि तीन मामलों में आरोपी को ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था. दिल्ली पुलिस ने 1995 में कड़कड़डूमा कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ अपील की थी, जिसमें रत्तन लाल और 15 अन्य को दंगा और हत्या के आरोपों से बरी कर दिया गया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा?
यह मामला नवंबर 1984 में सीमा पुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था और अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज करने में हुई देरी का भी जिक्र किया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा हालांकि यह अदालत 1984 के दंगों के दौरान हुई जान-माल की भारी हानि से अवगत है. लेकिन अपील दायर करने में हुई देरी की वजह और निचली अदालत के फैसले में की गई दलीलों को देखते हुए पहले दिए गए समान आदेशों के आधार पर इस देरी को माफ नहीं किया जा सकता. साथ ही अपील की अनुमति नहीं दी जा सकती.
दिल्ली पुलिस ने दी ये दलील
दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया कि जस्टिस ढींगरा की रिपोर्ट आने के बाद आंतरिक समीक्षा की गई और इस अपील को दायर करने की प्रक्रिया शुरू हुई. हालांकि इसमें 10,873 दिन की देरी हो गई. कमेटी की रिपोर्ट ने पुलिस और प्रशासन की दंगों के प्रति प्रतिक्रिया की कड़ी आलोचना की थी. यह कहते हुए कि उनकी पूरी भूमिका दंगों से जुड़े आपराधिक मामलों को दबाने की रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दिया था अहम आदेश
वहीं फरवरी में जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को सलाह दी कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में आरोपियों की बरी होने के खिलाफ अपील गंभीरता से की जानी चाहिए, सिर्फ औपचारिकता के लिए नहीं. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ छह अपील दायर करेगी. सुप्रीम कोर्ट में यह दलील पूर्व शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के सदस्य एस. गुरलाड सिंह काहलों की जनहित याचिका पर आई थी.
उनकी याचिका पर ही 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था, जिसका नेतृत्व दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एसएन ढींगरा कर रहे थे, ताकि उन 199 मामलों की जांच की जा सके जिन्हें पहले बंद कर दिया गया था.