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Delhi High Court approved expansion of the Supreme Court complex but condition trees will not be cut will be relocated ANN


देशभर में विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई कर दी जाती है जबकि बढ़ते प्रदूषण से निजात के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ों का लगाया जाना जरूरी है. इसी बीच पर्यावरण संरक्षण को लेकर कोर्ट ने एक मिसाल पेश की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट परिसर के विस्तार को मंजूरी दे दी है लेकिन इस शर्त के साथ कि पेड़ काटे नहीं जाएंगे बल्कि उनका स्थान बदला जाएगा.

दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब 26 पेड़ों को नया घर मिलेगा. एक नई जमीन मिलेगी जहां वे फिर से सांस ले सकें शाखाएं फैला सकें और आने वाली पीढ़ियों को छाया दे सकें. यह फैसला सिर्फ एक अदालती आदेश नहीं बल्कि एक विचार है कि देश की सबसे बड़ी अदालत जब खुद हरियाली की कसम खा रही है तो बाकी व्यवस्थाएं भी पीछे नहीं रह सकतीं.

‘पेड़ सिर्फ हरियाली नहीं भविष्य की सांसें हैं’
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने साफतौर पर कहा कि पेड़ सिर्फ हरियाली नहीं वो भविष्य की सांसें हैं. सुप्रीम कोर्ट का यह विस्तार महज एक इमारत नहीं इसमें नया कोर्ट रूम, संवैधानिक पीठ, और न्यायाधीशों के लिए चेंबर बनेंगे. इस विकास के रास्ते में जो 26 पेड़ आ रहे थे अब उन्हें काटा नहीं जाएगा. CPWD को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे वैज्ञानिक तरीकों से इन पेड़ों को प्रत्यारोपित करें और उनकी देखभाल तब तक करें जब तक वे जड़ें न जमा लें.

हाईकोर्ट का यह निर्देश एक अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें आरोप था कि सरकारी अफसर पेड़ों की कटाई के पहले अदालत की मंजूरी का इंतजार नहीं कर रहे. अब अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रकृति की अनदेखी को कानून कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट के विस्तार पर दिल्ली हाईकोर्ट का ये ऐतिहासिक फैसला आया है. इससे देश भर में पेड़ों के संरक्षण को लेकर ठोस संदेश जाएगा.

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