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Delhi High Court angry On Private School over increasing Fees ann


Delhi High Court On Private School Fees: दिल्ली हाईकोर्ट बुधवार (16 अप्रैल) एक बेहद संवेदनशील और भावनात्मक सुनवाई का गवाह बना. दिल्ली पब्लिक स्कूल, द्वारका द्वारा फीस विवाद को लेकर छात्रों के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार पर जस्टिस सचिन दत्ता की अदालत ने तीखा रुख अपनाया. कोर्ट रूम में मौजूद छोटे-छोटे बच्चों की उपस्थिति और उनकी आंखों में झलकता डर, पूरे माहौल को भावुक बना गया. दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा अगर ये सिर्फ पैसा कमाने की मशीन बन गया है तो ऐसे स्कूलों को बंद कर देना चाहिए.

अदालत ने साफ शब्दों में कहा, “शिक्षा एक सेवा है, न कि व्यापार बच्चों को लाइब्रेरी में बंद करना, उन्हें क्लास में जाने से रोकना और बाकी छात्रों से अलग करना एक अमानवीय कृत्य है. बच्चों को चीज समझना संविधान के खिलाफ है.”

माता-पिता का आरोप, स्कूल का बचाव
याचिकाकर्ता छात्रों के माता-पिता ने आरोप लगाया कि स्कूल ने अनधिकृत फीस न भरने पर बच्चों को प्रताड़ित किया. नाटकीय मोड़ तब आया जब कई छात्र यूनिफॉर्म और किताबें लेकर अदालत में पहुंचे. वहीं, स्कूल के वकील ने दावा किया कि दिसंबर में ही कारण बताओ नोटिस भेजे गए थे, लेकिन मार्च तक बकाया न चुकाने पर छात्रों को रोका गया.

शिक्षा निदेशालय भी सख्त  
दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने 8 अप्रैल को स्कूल को मान्यता रद्द करने की धमकी देते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है. विभाग ने पूछा है कि छात्र-विरोधी कार्रवाइयों के बावजूद स्कूल के खिलाफ कड़े कदम क्यों न उठाए जाएं.

दिल्ली हाई कोर्ट का सख्त आदेश 
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस दत्ता ने कहा फीस न भर पाना छात्रों के साथ यातना जैसा व्यवहार करने का लाइसेंस नहीं देता. स्कूल प्रिंसिपल के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई होनी चाहिए.

अदालत ने स्कूल को दिया अहम आदेश 

1. छात्रों को लाइब्रेरी या कहीं भी बंद न किया जाए  
2. उन्हें कक्षाओं में बैठने और दोस्तों से बात करने से न रोका जाए  
3. किसी भी छात्र को सुविधाओं से वंचित न किया जाए  

जांच रिपोर्ट ने खोली स्कूल की असलियत
दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट में स्कूल के रवैये को भयावह और भेदभावपूर्ण बताया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि फीस नहीं भरने वाले छात्रों को अलग बैठाया गया, मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और उन्हें शिक्षण-सुविधाओं से वंचित किया गया.

सरकारी कार्रवाई और अगला कदम
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि सुधार नहीं हुआ तो स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है साथ ही, प्रिंसिपल के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की बात भी उठाई गई. अदालत ने स्कूल को तुरंत छात्र-हितैषी दिशा-निर्देश लागू करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई में स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विभाग को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं.



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