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Delhi HC grants time to Centre for its stand on plea to rename India as Bharat


India Name Change To Bharat: दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र के वकील को संविधान में संशोधन करने और ‘इंडिया’ शब्द की जगह ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ करने के लिए सरकार को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर निर्देश पाने के लिए समय दिया है. यह याचिका 4 फरवरी को जस्टिस सचिन दत्ता के सामने सुनवाई के लिए आई थी और अदालत ने इसे 12 मार्च को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था.

अदालत ने कहा, ‘‘शुरुआत में, अग्रिम सूचना पर उपस्थित हुए प्रतिवादी संख्या एक और चार (केंद्र) के वकील ने निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय मांगा है.’’ शुरुआत में, याचिकाकर्ता ने संविधान में संशोधन करने और ‘इंडिया’ शब्द की जगह ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अदालत ने 2020 में निर्देश दिया था कि याचिका को एक ज्ञापन के रूप में लिया जाए और उचित मंत्रालयों की ओर से इस पर विचार किया जा सकता है.

क्या कहा गया है याचिका में?

याचिकाकर्ता नमहा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अधिकारियों को उनके ज्ञापन पर निर्णय लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया. याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता के पास वर्तमान याचिका के माध्यम से इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है, क्योंकि याचिकाकर्ता के ज्ञापन पर लिए गए किसी भी निर्णय के बारे में प्रतिवादियों की ओर से कोई अपडेट नहीं है.’’

याचिका में दावा किया गया है कि अंग्रेजी नाम ‘इंडिया’ देश की संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और इसका नाम बदलकर ‘भारत’ करने से नागरिकों को ‘औपनिवेशिक बोझ’ से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करने की मांग की गई है, जो संघ के नाम और क्षेत्र से संबंधित है. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करने की मांग की गई है.

1948 की संविधान सभा की बहस का दिया गया हवाला

तत्कालीन मसौदा संविधान के अनुच्छेद 1 पर 1948 की संविधान सभा की बहस का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि उस समय भी देश का नाम ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ रखने के पक्ष में ‘मजबूत लहर’ थी.

इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, अब समय आ गया है कि देश को उसके मूल और प्रामाणिक नाम यानी भारत से पहचाना जाए, खासकर तब जब हमारे शहरों के नाम बदलकर भारतीय लोकाचार के अनुरूप पहचान बनाई गई है.’’

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