Delhi Drowned Due To Mistake In Planning: Expert Claims In An Exclusive Interview With NDTV – योजना बनाने में हुई गलती, जिससे डूब गई दिल्ली : NDTV के साथ खास बातचीत में एक्सपर्ट का दावा

जैन ने कहा, “पिछले 1,000 वर्षों में दिल्ली का कई बार निर्माण और पुनर्निर्माण किया गया है, लेकिन इसके विकास में शहर को लंबे समय से चली आ रही भौगोलिक चुनौती का सामना करना पड़ा है.” उन्होंने कहा, “एक तरफ नदी है और दूसरी तरफ पहाड़ी है. दिल्ली हमेशा उनके बीच है.
जब अंग्रेजों ने दिल्ली को राजधानी बनाने का फैसला किया तो ब्रिटिश वास्तुकार एडवर्ड लुटियंस ने यमुना के तटों पर बाढ़ के खतरे को पहचाना था. उनकी इस चिंता के बावजूद कि यह स्थल “बाढ़ और मलेरिया फैलने के प्रति संवेदनशील है,” निर्माण कार्य आगे बढ़ा क्योंकि किंग जॉर्ज पंचम ने इसकी पहले ही आधारशिला रख दी थी.
इस संवेदनशील क्षेत्र में बाद के सालों में कई बुनियादी ढांचागत परियोजनाएं बनाई गईं, जिनमें रिंग रोड, पावर स्टेशन और इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम, दिल्ली सचिवालय, दिल्ली परिवहन निगम डिपो जैसी इमारतें शामिल थीं. जैन ने समझाया, “आप देखते हैं कि इसीलिए इस बार रिंग रोड पर पानी भर गया.”
इसे ओ जोन के रूप में वर्गीकृत किया गया और यह इलाका करीब 100 वर्ग किमी का है, जिसे संरक्षित किया जाना था और आगे किसी निर्माण की अनुमति नहीं दी जानी थी. पूर्व डीडीए आयुक्त ने कहा कि इसके बावजूद इलाके में “करीब 100 अनधिकृत कॉलोनियां बस गई.”
जैन के मुताबिक, शहर के मास्टर प्लान ने हालिया समस्या को और बढ़ा दिया है. नई योजना से पता चलता है कि यमुना क्षेत्र को 63 वर्ग किमी तक रेगुलेट किया जाएगा और शेष इलाके जहां अनधिकृत कॉलोनियां बनी हैं, उन्हें नियमित किया जाएगा. इसके चलते नदी का क्षेत्र 40 फीसदी कम हो जाएगा.
जैन ने चेतावनी देते हुए कहा, “इससे बाढ़ और अधिक तीव्र होगी.” साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से बदलना होगा. उन्होंने बताया, “पानी कम नहीं हो रहा है क्योंकि नदी में पानी का स्तर बढ़ने के कारण कई नालों में पानी वापस प्रवाहित हो रहा है.”
शहर के वर्तमान ड्रेनेज सिस्टम को 70 के दशक में 30-35 लाख की आबादी के लिए डिजाइन किया गया था. हालांकि आज दिल्ली की आबादी 2 करोड़ है. जैन ने ड्रेनेज सिस्टम का विस्तार करने और वर्षा जल की ऐसी संपत्ति के रूप में कल्पना करने की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिसे जमीन में रिसने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, ”इसके लिए निर्मित क्षेत्र को न्यूनतम रखना होगा.”
भारी वर्षा और 45 सालों में नदी के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचने के चलते करीब एक सप्ताह तक दिल्ली का बड़ा हिस्सा जलमग्न हो गया. इस पानी का ज्यादातर हिस्सा पड़ोसी राज्य हरियाणा से आता है. इसके कारण लोगों को अपने घरों को खाली करना पड़ा, सड़कों के साथ ऐतिहासिक स्मारकों में भी पानी भर गया. वहीं डूबने से कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई.
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