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Delhi coaching centre deaths Supreme Court seeks report from investigation panel in 4 weeks


Delhi Coaching Centre Deaths: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर की इमारत के बेसमेंट में पानी भर जाने के कारण सिविल सेवा परीक्षा के तीन अभ्यर्थियों की मौत की घटना की जांच कर रही समिति को इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने संबंधी उपायों के बारे में चार हफ्तों के अंदर एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपने का शुक्रवार को निर्देश दिया. कोचिंग सेंटर में 27 जुलाई को हुई घटना की जांच के लिए केंद्र सरकार ने यह समिति नियुक्त की थी.

ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित ‘राउज आईएएस स्टडी सर्कल’ के बेसमेंट में बारिश का पानी भर जाने के कारण डूबने से तीन विद्यार्थियों की मौत हो गई थी. जज सूर्यकांत और जज उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए के लिए बनाई गई नीतियों, विधायी और प्रशासनिक बदलावों से अवगत कराएं.

‘दो महीने लगेंगे रिपोर्ट सौंपने में’
पीठ ने कहा कि ओल्ड राजेंद्र नगर जैसी एक और घटना होने देने से रोकने के लिए पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में एक समान पहल की जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा, ‘‘अगर जरूरत पड़ी तो हम ओल्ड राजेंद्र नगर जैसी घटनाओं को रोकने के लिए पूरे देश के लिए निर्देश पारित करेंगे.’’ अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा कि केंद्र ने ओल्ड राजेंद्र नगर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण मौतों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है. जब पीठ ने उनसे पूछा कि समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने में कितना समय लगेगा, तो अटॉर्नी जनरल ने कहा कि संभवतः दो महीने लगेंगे.

पीठ ने वेंकटरमणी से कहा, ‘‘यह एक गंभीर मुद्दा है. आपको परामर्श प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए क्योंकि तत्काल आधार पर कार्रवाई की आवश्यकता है. हम चाहते हैं कि समिति चार सप्ताह के भीतर अपने अंतरिम उपाय सौंपे.’’ शीर्ष सरकारी विधि अधिकारी ने कहा कि अंतरिम रिपोर्ट निश्चित रूप से उस अवधि के भीतर सौंपी जाएगी.

आवासीय परिसर कोचिंग संस्थान संचालित के लिए नहीं
कोर्ट ने कहा कि समिति विधायी, नीतिगत और प्रशासनिक स्तरों पर हस्तक्षेप पर विचार कर सकती है और अपनी सिफारिशें करने से पहले सभी हितधारकों के विचार प्राप्त कर सकती है. पीठ ने कहा, ‘‘ओल्ड राजेंद्र नगर में जो हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी, जिसका दोहराव अन्यत्र नहीं होना चाहिए. आपको मौजूदा नियमों और आवश्यक बदलावों जैसे विभिन्न पहलुओं पर गौर करने की जरूरत है. मौजूदा इमारतें जो आवासीय परिसर हैं, जहां ये कोचिंग संस्थान संचालित हो रहे थे, वे इस तरह की गतिविधियों के लिए नहीं हैं.’’

सुझाव देने को कहा अन्य हस्तक्षेपकर्ताओं से
पीठ ने कहा कि वह ‘‘व्यापक परिदृश्य’’ को ध्यान में रखेगी और इस मुद्दे की अखिल भारतीय स्तर पर जांच करेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसी घटनाओं का दोहराव अन्यत्र न हो. पीड़ितों में से एक के पिता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि वह इस मामले में पक्षकार बनना चाहती हैं. पीठ ने उनकी अर्जी को स्वीकार कर लिया और अन्य हस्तक्षेपकर्ताओं से समिति को अपने सुझाव देने को कहा.

पीठ ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली की सरकारों और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से कहा कि वे भविष्य में ऐसी घटनाओं को होने देने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों से अदालत को अवगत कराएं. पीठ ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही कार्यवाही इस मुद्दे पर दिल्ली उच्च कोर्ट द्वारा गठित टास्क फोर्स के काम में बाधा नहीं बनेगी. 

कोचिंग सेंटर ‘डेथ चेंबर’ बन गए हैं
सुप्रीम कोर्ट ने पांच अगस्त को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि कोचिंग सेंटर ‘डेथ चेंबर’ बन गए हैं और छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. इसके लिए उसने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. घटना में जान गंवाने वाले तीन छात्रों में उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन (24) शामिल हैं.

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