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Delhi Chalo March Farmers Protest Heavy Security At Borders ANN


Delhi Farmers Protest: किसानों के ‘दिल्ली चलो’ विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर मंगलवार (13 फरवरी) को राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर व्यापक तौर से सुरक्षा व्यवस्था की गई है. कानून और व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने पहले ही धारा 144 लागू कर दी है, जिससे ट्रैक्टर ट्रॉलियों और बड़ी सभाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. 

किसानों के दिल्ली कूच (Delhi Chalo March) को लेकर सुरक्षाकर्मियों को कड़े निर्देश दिए गए हैं. किसी भी सूरत में ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ किसानों के दिल्ली में प्रवेश पर पूरी तरह से रोक है. सिंघु-गाजीपुर-टिकरी-चिल्ला बॉर्डर पर करीब 18 हजार सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. हर बॉर्डर पर करीब 7 लेयर की कड़ी सिक्योरिटी है. 

बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

दिल्ली पुलिस के अलावा, रैपिड एक्शन फ़ोर्स, सीआईएसएफ, बीएसएफ के जवानों की तैनाती की गई है. सुरक्षाबलों को सिर्फ आंसू गैस के गोले, लाठी और बॉडी गार्ड किट के साथ तैनात किया गया है. बॉर्डर पर फ्रंट लेयर में महिला सुरक्षाबलों की संख्या ज्यादा है. ड्रोन के जरिये आसपास के अन्य रास्तों पर भी पैनी नजर रखी जा रही है. पिछली बार से सबक लेते हुए जवानों को इस बार एंटी टियर गैस मास्क दिए गए हैं. पिछली बार किसानों ने पुलिस के आंसू गैस के गोले वापस पुलिस पर ही फेंके थे. बॉर्डर पर अनाउंसमेंट के लिए लाउड स्पीकर और सीसीटीवी कैमरें तैनात किए गए हैं. पुलिस ने बॉर्डर के आसपास लोकल इंटेलिजेंस यूनिट को एक्टिव कर दिया है.

दिल्ली-एनसीआर में जाम की स्थिति

फिलहाल ट्रैक्टर और ट्रॉली से किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं. एमएसपी गारंटी समेत कई मांगों पर किसान अड़े हुए हैं. दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम में कई जगह लंबा जाम लग गया है. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि सड़क हमने नहीं सरकार ने रोकी है. किसान नेताओं ने कहा कि हम टकराव नहीं चाहते हैं. हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है. सरकार हमारी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है. हम अन्न उगाते हैं और सरकार ने कीलें बिछाई. हम लाठी और गोली खाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

किसानों की मांगें क्या हैं?

प्रदर्शनकारी किसान केंद्र पर अपनी मांगों के समाधान के लिए दबाव बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. इनकी मांगों में सबसे प्रमुख है फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी वाला कानून बनाना है. इसके अलावा बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करने, लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के लिए मुआवजे और किसान आंदोलन में शामिल लोगों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. किसानों का आरोप है कि सरकार ने दो साल पहले जो वादे किए थे, वे पूरे नहीं हुए हैं.

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