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Delhi Budget Session 2025 CAG Report on DTC presented in Assembly ANN


Delhi News: दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC) को 2015-16 से 2021-22 के बीच 14,198.86 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है. आज (24 मार्च, 2025) विधानसभा में पेश की गई नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट से खुलासा हुआ. रिपोर्ट में डीटीसी बस सेवा की गिरती हालत, कुप्रबंधन और वित्तीय अनियमितताओं को खराब स्थिति का जिम्मेदार ठहराया गया है. डीटीसी ने ठोस व्यावसायिक या दूरदर्शी योजना नहीं बनाई. सरकार के साथ  समझौता ज्ञापन भी नहीं हुआ. परिचालन घाटा रोकने के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित नहीं किए गए.

रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में DTC के पास 4,344 बसें थीं. 2022-23 में घटकर 3,937 रह गईं. धनराशि उपलब्ध कराने के बावजूद मात्र 300 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद हुई. बसों की आपूर्ति में देरी पर 29.86 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था. जुर्माना वसूलने में भी लापरवाही बरती गई. कैग ने पाया कि डीटीसी की 44.96 फीसद बसें अब पुरानी हो चुकी हैं. इसलिए परिचालन प्रभावित हो रहा है. 2015 में केवल 5 बसें ओवरएज थीं. 2023 तक संख्या बढ़कर 1,770 हो गई है. कैग की रिपोर्ट ने डीटीसी की परिचालन दक्षता को भी सवालों के घेरे में रखा है.

कैग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश

डीटीसी मात्र 468 रूटों पर बसें चला सका. किसी भी रूट पर संचालन लागत की भरपाई नहीं हो पाई. रिपोर्ट में बताया गया कि 2015-22 के बीच तय किलोमीटर पूरे न कर पाने और बसों की खराबी के कारण 668.60 करोड़ की संभावित आय भी खो दी गई. तकनीकी परियोजनाओं में भी डीटीसी की लापरवाही सामने आई है. 2017 में शुरू की गई ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम 2020 से बंद है. 2021 में 52.45 करोड़ की लागत से 3,697 डीटीसी बसों में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे अभी तक पूरी तरह से चालू नहीं हुए हैं.

DTC के कामकाज पर उठे सवाल

कैग रिपोर्ट के अनुसार, निजी क्लस्टर बसों का प्रदर्शन डीटीसी से बेहतर रहा है. क्लस्टर बसें डीटीसी की तुलना में अधिक कुशलता से चलाई जा रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक डीटीसी को किराए में संशोधन करने की स्वतंत्रता नहीं है. 2009 के बाद से डीटीसी की बसों का किराया नहीं बढ़ाया गया है. डीटीसी की निर्भरता सरकार की वित्तीय सहायता पर है. वित्तीय प्रबंधन में भी गंभीर खामियां पाई गईं. रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी को परिवहन विभाग से 225.31 करोड़ की वसूली करनी थी. डीटीसी की संपत्तियों के व्यावसायिक उपयोग और विज्ञापन से संभावित आय बढ़ाने का अवसर भी गंवा दिया गया.

कर मामलों में गड़बड़ी के कारण डीटीसी को 63.10 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा. मानव संसाधन प्रबंधन में भी कई खामियां सामने आईं. 2013 में स्वीकृत स्टाफ पॉलिसी को अपडेट नहीं करने से कई महत्वपूर्ण पद खाली पड़े हैं. वहीं, अतिरिक्त कंडक्टरों को अन्य प्रशासनिक कार्यों में लगा दिया गया है. कैग ने आंतरिक नियंत्रण प्रणाली को भी कमजोर बताया है.

कहा गया कि डीटीसी में निर्णय लेने की प्रक्रिया सुस्त है. बसों की खरीद में देरी, परिचालन में ढील और देनदारों से वसूली में लापरवाही देखी गई. रिपोर्ट में कहा गया कि डीटीसी के पास वित्तीय स्थिति सुधारने की कोई ठोस योजना नहीं है. लगातार हो रहे घाटे, संचालन में अक्षमता और वित्तीय अनियमितताओं के कारण दिल्ली की बस सेवा पर संकट बढ़ गया है. सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए डीटीसी को जल्द प्रभावी सुधारात्मक कदम उठाने होंगे.

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