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Delhi AIIMS and safdarjung Hospital skin bank recieved 31 donated skin  | दिल्ली एम्स और सफदरजंग अस्पताल में 31 लोगों ने किया त्वचा दान, जानें


Skin Bank Delhi News: बर्न एवं हादसों के मरीजों के उपचार और उनमें फिर से आत्मविश्वास भरी जिंदगी देने में त्वचा दान बहुत अहम योगदान निभाती है. इस दिशा में दिल्ली के दो प्रमुख अस्पताल एम्स और सफदरजंग ने काफी सराहनीय पहल की है. दोनों अस्पताल त्वचा बैंक शुरू होने के बाद से ही लोगों को त्वचा दान के लिए जागरूक बना रहे हैं. इसका नतीजा यह निकला कि पिछले एक साल में दोनों अस्पताल में 31 मृत लोगों ने त्वचा दान किया. 

त्वचा दान के लिए मृतक के परिजनों को कहीं दौड़-भाग न करना पड़े, इसका ध्यान भी इन दोनों अस्पतालों द्वारा रखा जा रहा है. त्वचा दान के इच्छुक की जानकारी मिलने पर एम्स एवं सफदरजंग अस्पताल के डाक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की टीम मृतक के घर भी त्वचा दान की सुविधा मुहैया करवा रही है.

दरअसल, सफदरजंग अस्पताल में पिछले वर्ष 20 जून 2023 को और एम्स के बर्न एवं प्लास्टिक ब्लॉक में 29 जून, 2023 को त्वचा बैंक की शुरुआत हुई थी. महज एक वर्ष के भीतर सफदरजंग अस्पताल में 16 लोगों और एम्स में अब तक 15 लोगों के त्वचा दान हो चुके हैं. इन त्वचा से बर्न एवं हादसों के शिकार 45 से अधिक मरीजों को बचा कर उन्हें नई जिंदगी देने में मदद मिलेगी. 

बीते चार महीनों में आठ ने किया त्वचा दान

एम्स के बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंघल ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की मौत के बाद चार से पांच लोगों का त्वचा दान हुआ है. जबकि बाकी त्वचा दान अस्पताल से बाहर हुए हैं. इसके लिए एनजीओ आदि की भी मदद ली जा रही है और उनसे डोनर की सूचना मिलने पर टीम मृतक के घर जाकर त्वचा दान कराती है. इस प्रक्रिया में 20 से 25 मिनट का समय लगता है. इसके लिए आवश्यक कागजी कार्रवाई भी घर पर ही पूरी कर ली जाती है. 

उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे त्वचा दान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ रही है और अब लोग त्वचा दान कराने के लिए आगे भी आ रहे हैं. यही वजह है कि 15 में से आठ त्वचा दान महज बीते चार महीनों में हुए हैं. बावजूद इसके उन्होंने कहा कि अभी त्वचा दान को अभी और बढ़ावा देने की जरूरत है. मृतक के शरीर से त्वचा ऐसी जगह से ली जाती है, जो दिखाई नहीं देती. इसलिए देहांत के बाद त्वचा दान से संकोच नहीं होना चाहिए.

डॉक्टरों के मुताबिक देश में हर वर्ष करीब 70 लाख लोग बर्न इंज्यूरी के शिकार होते हैं. इनमें से करीब एक लाख 40 हजार लोगों की मौत हो जाती है. जबकि तकरीबन डेढ़ लाख मरीज कई तरह की विकृतियों के शिकार हो जाते हैं. जिसका मुख्य कारण होता है, गंभीर रूप से जलने के बाद जख्मों का जल्दी न भरना और इस कारण संक्रमणग्रस्त हो जाना. ऐसे मामले त्वचा प्रत्यारोपण से इलाज आसान हो जाता है.

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