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Congress veteran Mani Shankar Aiyar claims My political career made unmade by Gandhi family


Mani Shankar Aiyar On Gandhi Family: कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने राजनीतिक करियर और कांग्रेस पार्टी में अपनी स्थिति पर खुलकर बात की. उन्होंने दावा किया कि गांधी परिवार ने उनके करियर को न केवल बनाया, बल्कि बाद में उन्हें हाशिए पर भी धकेल दिया. अय्यर ने कहा, “मेरे जीवन की विडंबना यह है कि मेरा राजनीतिक करियर गांधी परिवार द्वारा बनाया गया और गांधी परिवार द्वारा ही बर्बाद किया गया.”

न्यूज एजेंसी पीटीआई के एक इंटरव्यू में अय्यर ने दावा किया कि उन्हें कई सालों से गांधी परिवार के प्रमुख सदस्यों से सीधा संपर्क साधने नहीं दिया गया.  उन्होंने कहा, “10 सालों तक मुझे सोनिया गांधी से आमने-सामने मिलने नहीं दिया गया. मुझे राहुल गांधी के साथ  एक बार को छोड़कर कभी मिलने का मौका नहीं दिया गया. मैं प्रियंका से एक या दो बार सही से मिला हूं.” 

गांधी परिवार से दूरी
उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी ने कभी-कभार उन्हें फोन किया है, जिससे कुछ हद तक संपर्क बना हुआ है. एक घटना को याद करते हुए, अय्यर ने कहा कि जब उन्हें पार्टी से निलंबित किया गया था, तब उन्हें राहुल गांधी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिए वायनाड सांसद प्रियंका पर निर्भर रहना पड़ा था. उन्होंने बताया कि  मैं प्रियंका गांधी से मिला और वह हमेशा मेरे प्रति बहुत दयालु रही हैं.

राहुल गांधी को लिखा था पत्र
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा ” मैंने सोचा कि चूंकि राहुल का जन्मदिन जून में था, इसलिए मैं उनसे राहुल को मेरी शुभकामनाएं देने के लिए कह सकता हूं.”  अय्यर ने बताया कि जब प्रियंका गांधी ने पूछा कि वह खुद राहुल गांधी से बात क्यों नहीं कर रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, “मैं निलंबित हूं और इसलिए मैं अपने नेता से बात नहीं कर सकता,” वरिष्ठ नेता अय्यर ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी को एक पत्र लिखा – एक इशारा जो जन्मदिन की बधाई के साथ शुरू हुआ, लेकिन उनके निलंबन पर जवाब भी मांगी, लेकिन “उस पत्र के लिए कभी कोई प्राप्ति सूचना नहीं मिली”  

2012 का नेतृत्व संकट
अय्यर ने 2012 को कांग्रेस के लिए “दोहरी आपदा” का समय बताया. उन्होंने कहा “आप देखिए, 2012 में हमारे सामने दो आपदाएं आईं, एक यह कि सोनिया गांधी बहुत बीमार पड़ गईं और डॉ. मनमोहन सिंह को छह बाईपास सर्जरी करानी पड़ीं, इसलिए, हम सरकार के मुखिया और पार्टी के मुखिया के रूप में अपंग हो गए, लेकिन एक व्यक्ति था जो अभी भी ऊर्जा से भरा हुआ था, विचारों से भरा हुआ था, उसमें एक निश्चित मात्रा में करिश्मा था, और वह पार्टी या सरकार या दोनों को चला सकता था. वह प्रणब मुखर्जी थे.

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