Congress Attempt To Bring Akhilesh Yadav And Mayawati On One Platform In UP Gets A Setback – यूपी में अखिलेश यादव और मायावती को एक मंच पर लाने की कांग्रेस की कोशिश का झटका
खास बातें
- सपा अति पिछड़ों के साथ ज़बर्दस्त दलित विरोधी पार्टी- मायावती
- सपा के 2 जून 1995 सहित घिनौने कृत्यों को देखते हुए…
- अखिलेश यादव भी मायावती और बीजेपी पर पलटवार करने से नहीं चूके
नई दिल्ली :
उत्तर प्रदेश (Uttra Pradesh) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) को एक मंच पर लाने की कांग्रेस की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है. बीएसपी प्रमुख मायावती ने यूपी के चर्चित गेस्ट हाउस कांड के बहाने अखिलेश यादव और सपा को आड़े हाथों लिया है. सोशल मीडिया एक्स पर मायावती ने सपा से ख़ुद को और पार्टी के लोगों पर ख़तरा बताया है. मायावती के इस बयान के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर उठापटक शुरू हो गई है.
मायावती ने अपने पार्टी दफ्तर की सुरक्षा को बताया खतरा
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मायावती ने लिखा है, “सपा अति पिछड़ों के साथ साथ ज़बर्दस्त दलित विरोधी पार्टी भी है. हालांकि, बीएसपी ने पिछले लोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन करके इनके दलित विरोधी चाल, चरित्र और चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया. लेकिन चुनाव ख़त्म होने के बाद ही सपा पुन: अपने दलित विरोधी जातिवादी एजेंडे पर आ गई. अब सपा मुखिया जिससे भी गठबंधन की बात करते हैं उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है, जिसे मीडिया भी खूब प्रचारित करता है. वैसे भी सपा के 2 जून 1995 सहित घिनौने कृत्यों को देखते हुए व इनकी सरकार के दौरान जिस प्रकार से अनेकों दलित विरोधी फ़ैसले लिए गए हैं.”
अखिलेश का मायावती पर पलटवार
इधर, अखिलेश यादव भी मायावती और बीजेपी पर पलटवार करने से नहीं चूके. अखिलेश ने कहा- बाबा के बास बुलडोजर है, चाहे तो पुल गिरवा दें. अखिलेश ने कहा कि ये पुल जाम से बचने के लिए बहुत जरूरी हैं. जिसे रेलवे और सेना से एनओसी मिलने के बाद बनाया गया था. उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी मिली थी कि कुछ लोग पुल नहीं बनने देने की साजिश में लगे हैं और उनकी कोशिश है कि रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र ना मिले. सरकार ने उस वक्त के लेफ्टिनेंट जनरल और सेना के लोगों के सामने अपना पक्ष रखा, तो वे सहमत हुए और उन्होंने पुल बनाने के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया.
1. सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है, हालाँकि बीएसपी ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेण्डे पर आ गई।
— Mayawati (@Mayawati) January 8, 2024
बसपा आखिर किस-किस को दोष देगी
अखिलेश यादव ने कहा कि उस पुल के उद्घाटन में सरकार के लोगों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि वह कभी-कभी रात में पुल के निर्माण कार्य की प्रगति को देखने जाते थे और बसपा आखिर किस-किस को दोष देगी. वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राजधानी के मॉल एवेन्यू स्थित बसपा राज्य मुख्यालय के सामने बनाये गये ओवर ब्रिज का लोकार्पण किया था.
भाजपा भी विवाद में कूदी
बसपा के नेताओं ने आरोप लगाते हुए इसके निर्माण का पुरजोर विरोध किया था. उनका कहना था कि यह पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की सुरक्षा के लिए खतरा है. इस बीच, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा ”बसपा प्रमुख सुश्री मायावती जी का अपनी सुरक्षा को लेकर सपा पर शंका करना साबित करता है कि अब भी उसका चरित्र नहीं बदला है.”
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “गेस्ट हाउस कांड में सपा के गुंडों ने बहन मायावती जी की हत्या करने की नापाक कोशिश की थी, बहन मायावती और जनता की सुरक्षा को लेकर सरकार हमेशा सतर्क रही है.” इसके कुछ घंटों पहले मौर्य ने ‘एक्स’ पर एक अलग संदेश में कहा, “सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश में सत्ता से बाहर रखना अगर अन्याय है, तो भाजपा यह अन्याय बार-बार करेगी.”
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