CJI DY Chandrachud Told How He Overcame The Struggles Of Life – उम्मीद हमेशा बनाए रखें… : CJI ने बताया कैसे जिंदगी के संघर्षों से पाया पार
नई दिल्ली:
भारत की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने एनडीटीवी के साथ एक विशेष बातचीत में कहा कि मैंने लाइफ के हर पहलू को देखा है. उम्मीद हमेशा बनाए रखनी चाहिए. मैरी जिंदगी भी समाज के हर उस आदमी की तरह गुजरी है. मैंने भी उन तमाम उतार-चढ़ाव का सामना किया है. मैंने जिंदगी का हर दौड़ देखा है. मेरा मानना है कि हर कठिनाई के पीछे एक वजह होती है, उसे समझना जरूरी है. आपको उसके बारे तब पता नहीं चलेगा, कुछ दिनों के बाद में आपको पता चल जाएगा.”
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मेरा मिशन है कि हर आदमी की पहुंच अदालत तक हो: CJI
चीफ जस्टिस ने कहा, “कभी-कभी मुझे आधी रात को ई-मेल मिलते हैं. एक बार एक महिला थी, मेडिकल अबॉर्शन की जरूरत थी. मेरे स्टाफ ने मुझसे संपर्क किया. हमने अगले दिन एक बेंच का गठन किया. किसी का घर गिरा, किसी को बाहर किया, हमने तुरंत मामले सुने. किसी को सरेंडर करना है, लेकिन बीमार है तो इसे संजीदगी से लेते है.” CJI डीवाई चंद्रचूड़ कहते हैं, “मेरा मिशन है कि हर आम आदमी की पहुंच न्यायपालिका तक हो. टेक्नोलॉजी के जरिए आम लोगों तक इंसाफ़ पहुंचाना मेरा मिशन है. मेरा मिशन जिला अदालतों को मजबूत करना है.”
सीजेआई ने बताया अपने फिटनेस का राज
सीजेआई ने बातचीत के दौरान बताया कि वह कैसे 25 साल से योगा और आयुर्वेदिक डाइट के जरिए खुद को फिट रखते हैं. उन्होंने कहा, “मेरा दिन सुबह 3.30 बजे शुरू हो जाता है. उस समय वातावरण शांत होता है, उस समय मैं चिंतन कर सकता हूं. मैं 25 साल से योग कर रहा हूं. मैं और मेरी पत्नी जो कि मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं, दोनों ही वीगन हैं. हम आयुर्वेदिक डाइट लेते हैं, हमारी लाइफस्टाइल प्लांट बेस है.
सिस्टम में डिजिटलाइजेशन को दिया जा रहा है बढ़ावा
सुप्रीम कोर्ट में हाल में हुए बदलावों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा, “29 फरवरी 2024 तक 3 करोड़ मामले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुने गए. ई- फ़ाइलिंग से लेकर पास तक की सुविधा आम लोगों को उपलब्ध है. आज की तारीख में 25 करोड़ फैसले ऑनलाइन उपलब्ध हैं. इस साल 6 मार्च तक 46 करोड़ ई-ट्रांजेक्शन हुए. ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तीसरे फेज के जरिए 7200 करोड़ का ट्रांजेक्शन हुआ है. इससे ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के पैमाने का अंदाज़ा लग सकता है. सिस्टम में हम डिजिटल माहौल बनाना चाहते हैं.”
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