CJI DY Chandrachud Bids Farewell as India’s 50th Chief Justice, Reflects on Legacy and Future of Judiciary ANN
CJI DY Chandrachud Farewell: भारत के 50वें चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ शुक्रवार ( 8 नवंबर 2024 ) आखिरी बार अपनी कोर्ट में बैठे. चीफ जस्टिस रविवार, 10 नवंबर तक पद पर हैं. लेकिन शनिवार और रविवार को सुप्रीम कोर्ट में जजों के न बैठने के चलते आज कोर्ट रूम में उनका आखिरी दिन था. उनके लिए औपचारिक विदाई बेंच का आयोजन हुआ. इस बेंच में देश के अगले चीफ जस्टिस संजीव खन्ना उनके साथ बैठे. जस्टिस चंद्रचूड़ अपनी कोर्ट में आने वाले हर वकील को बोलने का पूरा मौका देने के लिए पहचाने जाते रहे हैं. विनम्र स्वभाव के चीफ जस्टिस ने कहा, “मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की. फिर भी मेरे आचरण से किसी को दुख पहुंचा हो, तो मुझे माफ करें.”
13 मई 2016 को जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे. इससे पहले वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे. 9 नवंबर 2022 को वह सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई बड़े फैसले किए या बड़े फैसलों का हिस्सा रहे. अपने कार्यकाल के आखिरी दिन भी उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने में आड़े आने वाले 1967 के एक फैसले को निरस्त किया. बतौर चीफ जस्टिस अपने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते में उन्होंने यूपी मदरसा एक्ट को सही ठहराने और किसी का मकान गिराने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करने जैसे बड़े फैसले दिए.
राम मंदिर और चुनावी बॉन्ड जैसे अहम फैसलों में दिया योगदान
जस्टिस चंद्रचूड़ 2019 में अयोध्या मामले का फैसला देने वाली 5 जजों की बेंच के सदस्य थे. इस साल लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने चुनावी चंदे की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया. उन्होंने अनुच्छेद 370 मामले में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने को सही ठहराया. समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से मना किया. महिला सैन्य अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने चीफ जस्टिस रहते प्रशासनिक रूप से भी कई अहम बदलाव किए. देश भर की अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग सुनवाई के विस्तार में उनकी बड़ी भूमिका रही. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के वीडियो लिंक आम लोगों के लिए उपलब्ध करवाए. वकीलों को पुराने तरीके से कोर्ट में फ़ाइल लेकर आने की बजाए टैब या लैपटॉप के ज़रिए काम करने को प्रोत्साहित किया. सुप्रीम कोर्ट में दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं बनाने के अलावा उन्होंने दिव्यांगों की तरफ से चलाया जाने वाला ‘मिट्टी कैफे’ भी सुप्रीम कोर्ट परिसर में खुलवाया. सुप्रीम कोर्ट आने वाले टीवी चैनलों के अब तक कैमरापर्सन खुले आसमान के नीचे बैठते थे. संवेदनशील स्वभाव के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने उनके लिए शेड बनवाया.
‘किसी को ठेस पहुंचाई हो तो…’
अपनी विदाई बेंच में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने बड़ी संख्या में वकीलों के पहुंचने के लिए उनका धन्यवाद दिया. उन्होंने प्राकृत भाषा की जैन कहावत “मिच्छामी दुक्कड़म” की चर्चा की. इसका अर्थ है, “मैंने जो भी बुरा किया गया है, वह खत्म हो जाए.” इस कहावत का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कहा, “अगर मैंने कभी कोर्ट में किसी को ठेस पहुंचाई है, तो मुझे इसके लिए माफ कर दें.”
जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने अब तक के जीवन के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें जज के रूप में ऐसे लोगों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाने का मौका मिला जिनसे वह कभी नहीं मिले. उन्होंने अपने बाद चीफ जस्टिस बनने जा रहे संजीव खन्ना की तारीफ की. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “मैं निश्चिंत हूँ. मैं न्यायपालिका को एक सक्षम नेतृत्व के हवाले करके जा रहा हूं.”
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