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CJI Chandrachud seeks response from Central State Government on petition in Supreme Court against Cutting 11600 trees in Maharashtra | Supreme Court: 11600 पेड़ काटने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, CJI चंद्रचूड़ से वकील बोले


Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (26, अप्रैल) को भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की ओर से भूमिगत पाइपलाइन बिछाने के लिए 11,600 पेड़ काटने की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है. समाचार एजेंसी पीटीआई (भाषा) के मुताबिक, बीपीसीएल को चेंबूर स्थित अपनी रिफाइनरी से रायगढ़ तक भूमिगत पाइपलाइन बिछाने के लिए 11,600 पेड़ काटने की अनुमति दी गई है.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र की ओर से पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से याचिका पर जवाब देने को कहा. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने आरोप लगाया कि आर्द्र भूमि को तबाह किया जा रहा है.

सॉलिसिटर जनरल ने किया याचिका का विरोध

इस बीच सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह निर्देश प्राप्त करेंगे और अदालत में वापस आएंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पर्यावरण कार्यकर्ता जोरू भथेना द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी थी. 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका

बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने चेंबूर के माहुल से रायगढ़ जिले के रसायनी तक भूमिगत पाइपलाइन बिछाने के लिए पेड़ों को काटने के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी. उच्च न्यायालय ने कहा था कि मंजूरी देने से पहले विशेषज्ञ संस्थाओं ने सोच-विचार किया होगा.

मुंबई से मनमाड तक बिछाई थी 252 किमी लंबी पाइपलाइन

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, बीपीसीएल ने 1998 में मुंबई से मनमाड तक 252 किमी लंबी पाइपलाइन शुरू की थी. इसके बाद बीपीसीएल की ओर से महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्रों में भूमिगत पाइपलाइन बिछाने के लिए काम शुरू किया गया.

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