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Chunavi Kissa Inder Kumar Gujral Sanjay Gandhi Clash Emergency | Chunavi Kissa: संजय गांधी से भिड़ गए थे इंद्र कुमार गुजराल, कहा था


Chunavi kissa: लोकसभा चुनाव 2024 का ऐलान हो चुका है और देश 18वीं लोकसभा के लिए प्रतिनिधि चुनने के लिए तैयार है. इस बीच, हम उस दौर का किस्सा सुना रहे हैं, जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगा दी थी. संजय गांधी तब काफी सक्रिय थे और इंदिरा गांधी के मंत्री इंद्र कुमार गुजराल से उनकी बहस हो गई थी. बहस के बाद गुजराल को मंत्री पद से भी हटा दिया गया था. हालांकि, वह संजय गांधी की मनमानी स्वीकार करने को तैयार नहीं थे. 

जग्गा कपूर की किताब ‘व्हाट प्राइस परजरी- फैक्ट्स ऑफ द शाह कमीशन’ के अनुसार, संजय गांधी और इंद्र कुमार गुजराल के बीच पहले भी बहस हुई थी लेकिन तब इंदिरा गांधी ने मामला शांत करा दिया था. दूसरी बार दोनों के बीच बहस हुई तो इंद्र कुमार गुजराल को मंत्री पद गंवाना पड़ा था.

आकाशवाणी को लेकर हुई थी बहस

इंदिरा सरकार में इंद्र कुमार गुजराल सूचना और प्रसारण मंत्री थे. इमरजेंसी तब लगी थी और संजय गांधी प्रेस पर भी पूरा नियंत्रण चाहते थे. संजय गांधी ने इंद्र कुमार गुजराल से कहा था कि आकाशवाणी के बुलेटिन प्रसारित होने से पहले उन्हें दिखाए जाएं. हालांकि, इंद्र कुमार गुजराल ने ऐसा करने से मना कर दिया था. मंत्री के नाते उन्होंने तब कहा था कि वह खुद भी कोई बुलेटिन प्रसारित होने से पहले नहीं देखते हैं. यही वजह रही कि संजय और गुजराल के बीच बातचीत गरमाने लगी तो बगल के कमरे से इंदिरा गांधी आईं और उन्होंने कहा कि इस विषय पर बाद में बात की जाएगी. 

एक दिन में चली गई कुर्सी

इंद्र कुमार गुजराल ने वीर सांघवी को दिए इंटरव्यू में संजय गांधी के साथ हुई बातचीत के बारे में बताया था. वीर संघवी की किताब ‘मैंडेट विल ऑफ द पीपल’ के अनुसार, गुजराल को प्रधानमंत्री आवास बुलाया गया था. वह सुबह 10-11 बजे के करीब वहां पहुंचे तो इंदिरा गांधी कार्यालय निकल चुकी थीं. संजय गांधी उनका इंतजार कर रहे थे और इंदिरा का एक भाषण आकाशवाणी में नहीं चलने से नाराज थे. उन्होंने गुस्से में कहा कि ऐसा नहीं चलेगा. इस पर गुजराल बोले थे, “जब तक मैं हूं, ऐसा ही चलेगा. आपको बात करनी है तो बड़ों से बात करने का सलीका सीखिए. मैं आपके प्रति जवाबदेह नहीं हूं. मैं आपकी मां का मंत्री हूं, आपका नहीं.” यह कहकर गुजराल वहां से चले गए और शाम तक उनकी जगह विद्याचरण शुक्ल को नया सूचना एवं प्रसारण मंत्री बना दिया गया.

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