Chinese military says Arunachal Pradesh inherent part of China’s territory | China Remarks On Arunachal: पीएम मोदी के दौरे से अबतक टेंशन में चीन, अरुणाचल प्रदेश पर फिर दोहराया दावा, बोला
चीन ने हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर आपत्ति जताई थी और उसकी सेना ने अरुणाचल प्रदेश को चीन के क्षेत्र का स्वाभाविक हिस्सा बताया है. चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल झांग जियाओगांग ने कहा है कि जिजांग का दक्षिणी भाग (तिब्बत का चीनी नाम) चीन के क्षेत्र का एक अंतर्निहित हिस्सा है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आधिकारिक मीडिया बीजिंग के हवाले से बताया कि अरुणाचल प्रदेश पर भारत के अधिकार को चीन कभी स्वीकार नहीं करता और इसका दृढ़ता से विरोध करता है.
चीनी रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर शुक्रवार को पोस्ट की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, झांग जियाओगांग ने यह बयान भारत की ओर से अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग के माध्यम से अपनी सैन्य तैयारी बढ़ाने के जवाब में दिया है.
चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत के रूप में दावा करता है और अपने दावों पर जोर देने के लिए नियमित रूप से भारतीय नेताओं की राज्य की यात्राओं पर आपत्ति जताता है. चीन इस क्षेत्र का नाम जैंगनान भी रखा है.
भारत का रुख
भारत ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को बार-बार खारिज किया है. भारत ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है. भारत ने चीन की ओर से क्षेत्र नया नाम गढ़े जाने के कदम को खारिज किया है और कहा है कि इससे सच्चाई में कोई बदलाव नहीं आया है.
सेला सुरंग से क्यों लगी चीन को मिर्ची?
बता दें कि पीएम मोदी ने 9 मार्च को अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया था. यह सुरंग सामरिक महत्व वाले तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और इससे सीमांत क्षेत्र में सैनिकों की बेहतर आवाजाही सुनिश्चित होने की उम्मीद है. यह सुरंग असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले से जोड़ती है. 825 करोड़ रुपये की लागत वाली इस सुरंग को इतनी ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी दो लेन वाली सड़क सुरंग बताया जा रहा है.
भारतीय सेना के अधिकारियों का कहना है कि सेला सुरंग चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ विभिन्न अग्रिम स्थानों पर सैनिकों और हथियारों की बेहतर आवाजाही प्रदान करेगी.