China Bans IPhone And Other Foreign Brands Use, Apple Shares Fall Sharply
बीजिंग:
चीन के एक फैसले ने एप्पल को जमीन पर ला पटका है. दरअसल, वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सरकार ने अपने सरकारी कर्मचारियों को आईफोन या फिर दूसरे विदेशी ब्रैंडे के उपकरणों को काम के दौरान इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया है, इसका असर ये हुआ कि बुधवार को एप्पल के शेयर औंधे मुंह गिर पड़े.
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ब्लूमबर्ग में छपी खबर के मुताबिक, वॉल स्ट्रीट जर्नल ने मामले की जानकारी रखने वालों के हवाले से एक रिपोर्ट छापी कि – चीन में कुछ केंद्र सरकार के रेगुलेटर्स को चैट ग्रुप या मीटिंग में ये निर्देश मिला कि वो एप्पल या दूसरे विदेशी ब्रैंड्स के गैजेट्स को ऑफिस लाना बंद करें. हालांकि ये आदेश कितने बड़े पैमाने पर लागू किया जाएगा, ये साफ नहीं हुआ है.
इस खबर का एप्पल का शेयरों पर हुआ, बुधवार को एप्पल का शेयर न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में 3.6% टूटकर $182.91 पर आ गया. जो कि 4 अगस्त के बाद एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है. इसके पहले एप्पल इस साल अबतक 46% तक चुढ़ चुका है.
चीन-अमेरिका की लड़ाई में फंसी टेक कंपनियां
एप्पल के प्रोडक्ट चीन में बहुत पॉपुलर हैं. चीन के टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को नियंत्रित करने की अमेरिका की कोशिशों से बढ़ती नाराजगी के बावजूद, एप्पल को अपने सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय बाजार चीन में अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल है. एप्पल के आईफोन चीन में बेस्टसेलर हैं और सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है.
हालांकि, चीन की सरकार को अमेरिकी प्रोडक्ट्स के बढ़ते इस्तेमाल से परेशानी रही है, जिस तरह से दूसरे देशों की संवेदनशील एजेंसियां विदेशी उपकरणों के इस्तेमाल को हतोत्साहित करती हैं, बीजिंग ने भी अपने जियो-पॉलिटिकल शत्रु अमेरिका से अपनी टेक्नोलॉजी की निर्भरता को कम करने के लिए बीते कुछ वर्षों में एक अभियान चलाया है.
हुआवे को अमेरिका ने ब्लैकलिस्ट किया
टेक्नोलॉजी विस्तार की इस लड़ाई में अभी गेंद अमेरिका के ही पाले में है, और वो किसी भी कीमत पर चीन को बढ़त नहीं लेने देना चाहता, इसलिए कुछ दिन पहले बाइडेन प्रशासन ने चीन को अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर उपकरणों के एक्सपोर्ट को सीमित करने का आदेश दिया, चीन की टॉप चिपमेकर कंपनी, सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉर्प, हुआवे टेक्नोलॉजीज को कंपोनेंट की सप्लाई करने के लिए जांच के दायरे में आ गई, इसे अमेरिका ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है.
चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर के बीच एप्पल की फजीहत ये है कि वो चीन पर बहुत ही ज्यादा निर्भर है, एक तो मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर के तौर पर और दूसरा उसका सबसे बड़ा मार्केट भी चीन है.