Chhattisgarh News Medicines and Blood Samples Sent by drone from GMC Ambikapur to Udaipur ann
Ambikapur News: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्वास्थ्य सुविधाओं में ड्रोन तकनीक का उपयोग के तहत चयनित देश के 25 मेडिकल कॉलेजों में से छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर चिकित्सा शासकीय महाविद्यालय को शामिल किया गया है. शासकीय चिकित्सा महावद्यिालय अम्बिकापुर में सोमवार (19 फरवरी) को अम्बिकापुर से 40 किमी दूर उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक रक्त सैंपल और रिपोर्ट के साथ दवा भेजने का सफल ट्रायल किया गया.
मेडिकल कॉलेज से ड्रोन 20 मिनट के भीतर दवा, सैंपल और रिपोर्ट लेकर उदयपुर स्वास्थ्य केंद्र में पहुंच गया. जहां सुरक्षित लैंडिंग कराने के साथ यह सामग्री उतारा गया और स्वास्थ्य केंद्र से रक्त सैंपल जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा गया. ड्रोन से वांछित स्थल तक दवा पहुंचाने के सफल ट्रायल से महावद्यिालय प्रबंधन के साथ मेडिकल के छात्रों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला. डीन डॉ. रमनेश मूर्ति, अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी आर्या के उपस्थिति में बैंगलोर की काइट्स मैप्स ड्रोन कंपनी के तकनीकी अमले के द्वारा ट्रायल किया गया.
पीएम मोदी का पायलट प्रोजेक्ट
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री के इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत मार्ग में जाम लगने, पुल टूटने या अन्य कारणों से मार्ग बाधित होने की स्थिति में वांछित इलाकों तक जरूरी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने, दवा पहुंचाने से लेकर सैंपल कलेक्शन, रिपोर्ट देने, सैंपल लाने सहित अन्य जरूरी कार्य करने के लिए ड्रोन प्रोजेक्ट की योजना बनाई गई थी. जिससे संकट के समय भी स्वास्थ्य सुविधा लोगों को मिल सके. डीन ने बताया कि ट्रायल के लिए डेंगू किट, स्पायरोसिस, जांच रिपोर्ट, रक्त सैंपल, दवा भेजने और लाने का ट्रायल किया गया.
ड्रोन उड़ाने की ली गई अनुमति
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने बताया कि ड्रोन के उड़ान और लैंडिंग के लिए भी प्लेन और हेलीकाप्टर के समान ही कई स्तर पर अनुमति लेनी पड़ती है. जिससे आज ट्रायल के लिए डीजीसीए, दरिमा, रायपुर, कोलकाता और एयर कंट्रोलर एटीसी के अलावा कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के साथ ही अंबिकापुर से उदयपुर तक आने वाले थाना ओर चौकियों को भी इसके लिए सूचना दी गई.
चार कंपनियों का ट्रायल के लिए चयन
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने बताया कि ड्रोन टेक्नोलॉजी के लिए अंबिकापुर का चयन होने पर शासन के दिशा नर्दिश के तहत ई- निविदा आमंत्रित की गई थी. जिसमें चार कंपनियों का चयन किया गया है. जिसमें काइट्स मैप्स बैंगलोर, स्काई एयर नोएडा, ईगल स्पेस और टेकनेट कंपनी चंड़ीगढ शामिल है, ट्रायल के लिए प्रथम चरण में काइट्स मैप्स बैंगलोर को अवसर दिया गया. कंपनी के तकनीकी अमले के द्वारा मेडिकल कॉलेज में उड़ान और उदयपुर में लैंडिंग के लिए स्थल चयन करते हुए सफल ट्रायल किया गया. प्रयोग के लिए छोटे ड्रोन से ट्रायल की गई जिसकी क्षमता एक किलो तक वजन ले जाने की थी.
‘पहुंच विहीन इलाकों के लिए वरदान’
डीन डॉ. रमनेश मूर्ति ने बताया कि स्वास्थ्य सुविधाओं में ड्रोन तकनीक के उपयोग के लिए प्रथम चरण में देश के 25 मेडिकल कॉलेज, 8 एम्स और 7 राष्ट्रीय महत्व की स्वास्थ संस्थाओं का चयन किया गया था. जिसमें छत्तीसगढ़ का एक मात्र मेडिकल कॉलेज शामिल था, जबकि एम्स रायपुर का भी चयन किया गया है. उन्होंने बताया कि सरगुजा जैसे आदिवासी बाहूल्य और पिछड़े इलाके में अभी भी यह प्रोजेक्ट स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बड़ा उपयोगी साबित होगा, यह किसी वरदान से कम नहीं है. जिससे पहुंच विहीन इलाकों में भी आसानी से स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाई जा सकेंगी. इस प्रोजेक्ट के तहत प्रति 1 किमी पर 150 रुपये का खर्च आएगा.
संचालन के लिए ड्रोन दीदियों को मिला प्रशिक्षण
ड्रोन के संचालन के लिए स्वयं सहायता समूह आराधना की संध्या और उत्कृष्ठ स्वयं सहायता समूह की सदस्य आरती का चयन ड्रोन दीदी के रूप में करते हुए, इन्हें दल्लिी में 11 दिवसीय फ्री प्रशक्षिण दिलाया गया. प्रशक्षिण में ड्रोन दीदियों को उड़ान, लैंडिंग, समान लोडिंग, अनलोडिंग करने के साथ ही अन्य जरूरी तकनीक के बारे में भी जानकारी दी गई है. आज ट्रायल के दौरान ड्रोन दीदियों में भी जबरदस्त उत्साह देखने को मिला.
ये भी पढ़ें:
Chhattisgarh: बस्तर के आदिवासियों की अनूठी परंपरा, इस खास पेड़ को साक्षी मान शादी में लेते हैं फेरे