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Chhattisgarh Korba Trible Hostels And Ashrams Running Without Superintendent Relying On Servants Teachers Ann


Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में 50 से अधिक आदिवासी छात्रावास और आश्रम भगवान भरोसे संचालित किए जा रहे हैं. यहां स्थाई अधीक्षक नहीं होने के कारण भृत्य और आस पास के शिक्षकों को अधीक्षक का दायित्व सौंप दिया गया है. अब इन्हीं के भरोसे छात्रावास व आश्रमों का संचालन किया जा रहा है. सवाल उठता है कि यदि इस दौरान इन सभी छात्रावास आश्रमों में से किसी एक में भी कोई गड़बड़ी अथवा कोई वारदात हो जाती है तो उसका जिम्मेदार आखिर किसे बनाया जाएगा.

वर्तमान में जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में कुल 189 छात्रावास आश्रम संचालित हैं. इन सभी में जिले के दूरदराज और वनांचल क्षेत्र के आदिवासी बच्चे अध्ययनरत हैं. छात्रावास और आश्रम का सुचारू रूप से संचालन के लिए शासन ने छात्रावास अधीक्षक का पद सृजित किया है और अधीक्षक की देखरेख में ही संचालन होता है. अधीक्षक के अलावा भोजन और नाश्ता के लिए रसोइया एवं अन्य कार्यों के लिए भृत्य की भी छात्रावास और आश्रम में नियुक्ति की गई है. खबर है कि जिले के कुल 189 छात्रावास आश्रम में से 50 से अधिक ऐसे छात्रावास और आश्रम हैं. जहां पिछले 3-4 वर्षों से अधीक्षक की नियुक्ति नहीं हो पाई है. 

नई भर्ती नहीं किए जाने से यह स्थिति निर्मित हुई है
इस संदर्भ में संबंधित विभागीय अधिकारी का कहना है कि शासन के द्वारा छात्रावास अधीक्षक के पद पर नई भर्ती नहीं किए जाने से यह स्थिति निर्मित हुई है. ऐसे में 50 से भी अधिक छात्रावास और आश्रमों का संचालन या तो यहां कार्यरत भृत्य कर रहे हैं अथवा आसपास के शिक्षकों को प्रभारी अधीक्षक का दायित्व सौंपकर उनके भरोसे संचालन कराया जा रहा है. ऐसी स्थिति में सवाल यह उठता है कि यदि इस दौरान ऐसे छात्रावास और आश्रम में कोई गड़बड़ी अथवा कोई घटना घटती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा.

जीर्णोद्धार की बाट जोह रहे अनेक छात्रावास
जिले में संचालित अनेक ऐसे छात्रावास आश्रम है जो कि जर्जर स्थिति में पहुंच गए है. यहां जीर्णोद्धार की तत्काल आवश्यकता महसूस की जा रही है. वहीं अनेक छात्रावास में नए भवन की भी दरकार है. हालांकि परियोजना प्रशासक, आदिवासी विकास विभाग इस संदर्भ में गंभीर पहल करता रहता है. बावजूद विभाग को पर्याप्त फंड उपलब्ध नहीं होने के कारण छात्रावास और आश्रम की मरम्मत आदि कार्य के लिए दिक्कत खड़ी होती रहती है.

शिक्षक संभाल रहे
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त श्रीकांत कसेर ने कहा कि वर्तमान में लगभग 50 की संख्या में ऐसे छात्रावास आश्रम है जहां स्थाई अधीक्षक नहीं है. इनका संचालन का जिम्मा आसपास के शिक्षकों को सौंपा गया है. शासन से नई नियुक्ति के बाद ही इन सभी छात्रावास आश्रम में स्थाई अधीक्षक मिल पाएंगे.

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