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Chhattisgarh Jhirum Naxal Attack Investigtion Politics BJP Claims CM Bhupesh Baghel Hiding Proof ANN | Chhattisgarh Politics: झीरम नक्सली हमले की जांच पर सियासत तेज, BJP का दावा


Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में 10 साल पहले 2013 में चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस नेताओं के काफिले में नक्सली हमला हुआ. इसमें कांग्रेस के बड़े नेताओं और सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई. इस घटना की जांच आज भी सवालों के घेरे में है. कांग्रेस इसे राजनीतिक षड्यंत्र बता रही है तो बीजेपी इसके पीछे कांग्रेस पार्टी को ही संदिग्ध बता रही है.

इसी बीच 10 साल से जांच कर रही एनआईए की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इसके बाद फिर से झीरम घाटी नक्सली हमले पर सियासत तेज हो गई है.

छत्तीसगढ़ में झीरम नक्सली हमले पर सियासत तेज
दरअसल मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए की याचिका को खारिज कर दिया. इसके बाद अब छत्तीसगढ़ की पुलिस झीरम नक्सली हमले के षड्यंत्र पर जांच कर सकती है. एनआईए ने जांच पहले शुरू करने का हवाला देकर राज्य पुलिस के जांच को रोकने के लिए कोर्ट गई थी. मंगलवार को कोर्ट के फैसले के बाद इस मामले में जमकर सियासत चल रही है.

कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी एक दूसरे पर आरोप लगा रही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने सीएम भूपेश बघेल पर निशाना साधा है और सीएम पर झीरम के सबूत छिपाने का आरोप लगाया.

बीजेपी ने मुख्यमंत्री ने सबूत छुपाए उनसे भी पूछताछ होनी चाहिए 
अरुण साव ने रायपुर में मीडिया से कहा कि भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री रहते हुए यह अपराध किया है. प्राकृतिक न्याय की अपेक्षा यही हो सकती है कि झीरम के सबूत छिपाने का अपराध करने वाले को भी जांच और पूछताछ के दायरे में होना चाहिए. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए भूपेश बघेल ने स्वयं यह कबूल किया है कि झीरम के सबूत उनके कुर्ते की जेब में हैं.

तब 5 साल मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने यह सबूत जांच एजेंसी के सुपुर्द क्यों नहीं किए? भाजपा आरंभ से स्पष्ट तौर पर यह मत प्रकट करती रही है कि झीरम मामले में कांग्रेस का चरित्र संदिग्ध है. झीरम हमले के चश्मदीद उनके कैबिनेट मंत्री ने क्यों इस मामले में न तो न्यायिक जांच आयोग के सम्मुख गवाही दी और न ही जांच एजेंसी को कोई सहयोग दिया.

कांग्रेस का आरोप परिवर्तन यात्रा में नहीं मिली सुरक्षा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस कर एनआइए और बीजेपी पर कई सवाल उठाए है. उन्होंने कहा कि 2013 में 6-7 मई को बस्तर ज़िले में रमन सिंह की विकास यात्रा निकली. उसके लिए 1781 सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए थे.उसी बस्तर ज़िले में 24-25 मई को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा निकली तो मात्र 138 सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए.

इसके साथ विनोद वर्मा ने ये भी पूछा कि दिसंबर 2016 में केंद्र की सरकार ने राज्य ने सीबीआई जांच के अनुरोध को ठुकरा दिया और कह दिया कि एनआईए जांच ही पर्याप्त है. रमन सिंह ने दिसंबर 2018 तक छत्तीसगढ़ की जनता से यह बात छिपाए रखी. सबसे बड़ा सवाल यह है कि केंद्र की बीजेपी सरकार क्यों नहीं चाहती कि व्यापक राजनीतिक षड्यंत्र की जांच हो?

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