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Chhath Puja Preparation In Delhi Artificial Ponds Rooftop Tubs And Other Preparation Has Been Done By Delhi Government Know In Detail


Chhath Puja In Delhi: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शुक्रवार (17 नवंबर) से ही शुरू हो गई है. बिहार उत्तर प्रदेश के साथ पूरे देश में खासकर राजधानी दिल्ली में छठ व्रतियों की सुविधाओं के लिए सरकार की ओर से खास व्यवस्थाएं की गई हैं. शुक्रवार को पहले दिन नहाए खाए के साथ चावल और लौकी की सब्जी खाकर महापर्व की शुरुआत हुई. उसके बाद छठ व्रती 36 घंटे की निर्जला उपवास पर हैं. यानी महापर्व पूरा होने तक पानी भी नहीं पीना है.

शनिवार को ”खरना” हुआ है. शाम के समय गुड़ से बनी खीर जिसको पूर्वांचल में “रसिआव” कहा जाता है, बनाकर प्रसाद के तौर पर छठ व्रत करने वालों के परिवार और अन्य लोगों में बांटी गई है. आज रविवार (19 नवंबर) को लाखों की संख्या में छठ व्रती अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य देंगे.

छठ घाटों पर रहेगी चहल-पहल
इस दिन छठ घाटों पर गजब की चहल-पहल रहने वाली है. छठ व्रत करने वाले पुरुषों के साथ रंग  बिरंगी साड़ियों में नाक से लेकर सिर के मध्य हिस्से तक सिंदूर लगाई व्रती सुहागन महिलाएं, शूप में केला, सेव, नारियल, नारंगी, नाशपाती आदि सजाकर नदी, तालाबों, झरना, या कृत्रिम जलाशय के पानी में घुसकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे.

राजधानी दिल्ली में बने हैं 1000 घाट
यमुना के तटों से लेकर अस्थायी घाटों और छतों के टबों तक, दिल्ली भर में 1000 घाट बनाए गए हैं. दिल्ली की राजस्व मंत्री आतिशी ने शनिवार को कहा कि सरकार ने शहर भर में 1,000 से अधिक छठ घाट बनाए हैं. अधिकारियों ने बताया कि मयूर विहार फेज-3 में बने अस्थायी घाटों के निरीक्षण के दौरान मंत्री ने जिला प्रशासन और पुलिस को सभी घाटों पर मजबूत सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े.

सरकार ने मयूर विहार फेज-3 में डीडीए ग्राउंड में आठ कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया है, जहां हजारों श्रद्धालु एक साथ छठ व्रत कर सकते हैं. अतिशी ने कहा, “छठ दिल्ली के लोगों और हमारे पूर्वाचल क्षेत्र के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इसलिए, सरकार हर साल छठ के लिए एक भव्य उत्सव का आयोजन करती है.”

दिल्ली जल बोर्ड कर रहा कृत्रिम तालाबों को भरने का काम
अधिकारियों ने कहा कि सोनिया विहार में भी अस्थायी तालाब बनाए गए हैं. सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी रमेश सिंह ने कहा, “दो कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं और इसे डबल-लेयर प्लास्टिक शीट से ढक दिया गया है. दिल्ली जल बोर्ड ने इनमें पानी भरा है.”

छतों पर बड़े टबों में भरा गया है पानी
दिल्ली के अन्य हिस्सों जैसे पीतमपुरा और कैलाश हिल्स, बदरपुर जो घाटों से बहुत दूर स्थित हैं, में लोगों ने अपनी छतों पर बड़े कंटेनरों और टबों में पानी भरकर अर्घ्य की व्यवस्था की है. नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव जैसे एनसीआर शहरों में भी इसी तरह से लोगों ने छतों पर या अपने-अपने इलाकों में कृत्रिम तालाब बनाए हैं. सोमवार (20 नवंबर) की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन होगा.

लोक आस्था का महापर्व है षष्ठी के दिन होने वाली ये पूजा
आपको बता दें कि छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक महान पर्व है. सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है. धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है. छठ पूजा सूर्य और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है. इसमें किसी खास मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है और सबसे बड़ी बात यह है कि छठी मइया की पूजा के लिए व्रती महिलाएं 36 घंटे से अधिक समय तक भूखी रहती हैं, जबकि उन्हें ना तो भूख लगती है और ना ही प्यास. इसीलिए इसे आस्था का महापर्व कहा जाता है.

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