News

Cheetahs Will Remain In MPs Kuno Park Only: Union Forest Minister Bhupendra Yadav After Death Of 8 Cheetahs In 4 Months – MP के कूनो पार्क में ही रहेंगे चीते : 4 महीने में 8 चीतों की मौत के बाद केंद्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव



यादव की यह टिप्पणी चीता परियोजना पर कुछ विशेषज्ञों द्वारा व्यक्त की गई चिंता के बीच आई है. एक दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञ ने कहा है कि इस सप्ताह प्रदेश में दो नर चीतों की मौत के पीछे की संभावित वजह ‘रेडियो कॉलर’ के कारण होने वाला ‘सेप्टिसीमिया’ संक्रमण हो सकता है, वहीं एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि केवल पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही सटीक कारण निर्धारित करेगी.

दक्षिण अफ्रीका से लाए गए नर चीते सूरज की शुक्रवार को श्योपुर के केएनपी में मृत्यु हो गई, जबकि एक अन्य नर चीता तेजस की मंगलवार को मौत हो गई थी.

दक्षिण अफ्रीकी चीता विशेषज्ञ विंसेंट वैन डेर मेरवे ने कहा कि अत्यधिक गीलेपन की स्थिति के कारण रेडियो कॉलर संक्रमण पैदा कर रहे हैं और संभवतः यही इन चीतों की मौत का कारण है. चार महीने से भी कम समय में दो चीतों और तीन शावकों समेत मरने वाले चीतों की संख्या आठ हो गई है.

भारत में चीता परियोजना के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर, मेरवे आशावादी दिखे. उन्होंने कहा, ‘‘भारत में अब भी चीतों की 75 प्रतिशत आबादी जीवित और स्वस्थ है. इसलिए जंगली चीता के पुनरुत्पादन के लिए सामान्य मापदंडों के तहत मृत्यु दर के साथ सब कुछ अभी भी सही दिशा में है.”

केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने दोनों चीतों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी है. हालांकि, उन्होंने इस संबंध में अधिक जानकारी साझा नहीं की.

शुक्रवार को मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने कहा था कि चीते सूरज की मौत का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलेगा. जब उनसे चीतों की मौत के बारे में पूछा गया तो मंत्री ने बताया कि जो तीन शावक मरे वे जन्म से ही कुपोषित थे जबकि अन्य मौतें अपसी झड़प के कारण हुईं जो जानवरों में आम बात है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग के भोपाल केंद्र के ड्यूटी अधिकारी एसएन साहू ने कहा कि श्योपुर जिले में, जहां केएनपी स्थित है, एक जून से 15 जुलाई के बीच 321.9 मिलीमीटर वर्षा हुई है जबकि इस अवधि के लिए सामान्य वर्षा 161.3 मिमी है.

पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी वाले एक भव्य कार्यक्रम में पांच मादा और तीन नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था, इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते केएनपी पहुंचे थे.

चार शावकों के जन्म के बाद चीतों की कुल संख्या 24 हो गई थी लेकिन आठ मौतों के बाद यह संख्या घटकर अब 16 रह गई है.

धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाले इस वन्यजीव को 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *