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Cheetahs Death: चीता प्रोजेक्ट में लापरवाही! जांच में सामने आई ये बड़ी सच्चाई, कॉलर आईडी कैसे बना 'मौत का फंदा'?



<p style="text-align: justify;"><strong>MP News:</strong> प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 70 साल बाद भारत में बसाए जा रहे चीतों के ड्रीम प्रोजेक्ट में लापरवाही बरती जा रही है. विशेषज्ञों की जांच से पता चला है कि जो चीतों की मौत हो रही है वो कॉलर आईडी के इंफेक्शन की वजह से हो रही है. लापरवाही वाली बात यह है कि चीतों को टाइगर के कॉलर आईडी पहना दिए गए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार यह कॉलर आईडी ही चीतों की मौत की वजह बन रहे हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">बता दें कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से कुल 20 चीते लाए गए हैं. इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क में रखा गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वयं इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था, लेकिन विडम्बना यह है कि एक-एक कर चीतों की मौत हो रही है. अब तक तीन शावक सहित पांच व्यस्क चीतों की मौत हो चुकी है. व्यस्क चीतों की वजह की वजह कॉलर आईडी बताई जा रही है. 5 चीतों में स्किन इन्फेक्शन की पुष्टि हो चुकी है. दो चीते तेजस और सूरज की मौत इसी वजह से हुई.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अनफिट है कॉलर आईडी</strong></p>
<p style="text-align: justify;">बताया जा रहा है कि चीतों को कॉलर आईडी लगाए गए हैं वो कॉलर आईडी टाइगर के लिए डिजाइन है. यह कॉलर आईडी इन चीतों के लिए अनफिट साबित हो रहे हैं. इन कॉलर आईडी की वजह से चीतों की गर्दन पर घाव और उसमें कीड़े पड़ रहे हैं. विशेषज्ञों ने अब तय किया है चीतों के लगे कॉलर आईडी हटाए जाएंगे.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>फिर बाढ़े में आएंगे चीते</strong></p>
<p style="text-align: justify;">विशेषज्ञ डॉ. राजेश गोपाल की अध्यक्षता में आयोजित हुई चीता स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में यह तय किया है कि खुले जंगल में रह रहे सभी 10 चीतों को ट्रंकुलाइज कर फिर से बाढ़े में लाया जाएगा और इनके कॉलर आईडी हटाए जाएंगे. सभी चीते बाड़े में वेटरनरी डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>लचीली होती है चीतों की त्वचा</strong></p>
<p style="text-align: justify;">विशेषज्ञों के अनुसार टाइगर की जो त्वचा होती है वह काफी सख्त होती है. ये कॉलर आईडी टाइगर के लिए फीट है, जबकि चीतों की त्वचा लचीली होती है, ऐसे में यह सख्त कॉलर आईडी चीतों की त्वचा पर फीट नहीं बैठ रही है. इन कॉलर आईडी की वजह से चीतों के गर्दन पर इन्फेक्शन हो रहा है, जिसमें बाद उसमें घाव होकर कीड़े लग जा रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कॉलर आईडी ही चीतों की मौत की वजह बन रहे हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कर्नाटक से आया विशेष दल</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इधर लगातार चीतों की मौत के बाद केन्द्र सरकार भी अलर्ट है. केन्द्र सरकार के निर्देश पर कर्नाटक का तीन सदस्यीय दल श्योपुर पहुंच गया है. इस दल में एनटीसीए बेंगलुरु आईजी एनएस मुरली, एआईजी वेणुगोपाल हिरानी शामिल हैं.<br />&nbsp;<br /><strong>सीएम का निर्देश- चीतों की स्थिति की नियमित समीक्षा हो </strong></p>
<p style="text-align: justify;">चीतों की मौत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अलर्ट है. मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि चीता पुनर्वास प्रोजेक्ट में कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए चीतों में से कुछ चीतों की मृत्यु, चिंता का विषय है. उनके स्वास्थ्य और देखभाल के लिए केन्द्र सरकार द्वारा गठित चीता टास्क फोर्स को राज्य शासन की ओर से हरसंभव सहयोग प्रदान किया जाए. क्षेत्र में पर्याप्त वन्य-प्राणी चिकित्सकों सहित सभी आवश्यक दवाओं और उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. साथ ही चीतों की स्थिति की नियमित समीक्षा की व्यवस्था हो. आवश्यकता होने पर फॉरेस्ट गार्ड की संख्या और पुनर्वास प्रोजेक्ट के लिए उपलब्ध क्षेत्र में वृद्धि की जाए.</p>



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