Chandrayaan-3 Landing India Luner Mission Vikram Lander Learning From Chandrayaan 2 All You Need To Know – चंद्रयान-3 : इतिहास रचने के लिए 4 साल पहले फेल हुए चंद्रयान-2 से ISRO ने क्या लिया सबक?
चंद्रयान-2 को लगभग 4 साल पहले 22 जुलाई 2019 को चंद्रमा की ओर भेजा गया था, लेकिन यह चांद की सतह पर सफल लैंडिंग करने में कामयाब नहीं हो पाया था. जब लैंडर चंद्रमा की सतह से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर था, तब उसका संपर्क कंट्रोल रूम से टूट गया था. ऐसे में मिशन फेल हो गया.
आइए जानते हैं कि इसरो ने चंद्रयान-2 की नाकामी से क्या-क्या सबक लिया और चंद्रयान-3 में कौन से बदलाव किए:-
1. चंद्रयान-2 में एक ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल थे. चंद्रयान-3 में एक लैंडर मॉड्यूल (LM), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है. चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान स्पेक्ट्रो-पोलारिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (SHAPE) नामक एक पेलोड ले जाएगा, जो पिछले मिशन में नहीं था. SHAPE चंद्रमा की सतह की स्टडी करेगा.
2. चंद्रयान-2 में लैंडर को खतरे का पता लगाने के लिए कैमरे नहीं थे. लेकिन इसरो ने गलती को सुधारते हुए चंद्रयान-3 के लैंडर में 2 बचाव कैमरे लगाए हैं. चंद्रयान-2 में केवल एक ही ऐसा कैमरा था और चंद्रयान-3 के कैमरे पिछली बार के मुकाबले अधिक मजबूत बनाए गए हैं.
3. इसरो ने चंद्रयान-3 को मजबूती देने के लिए इसके लैंडर लेग मैकेनिज्म परर्फोर्मस की टेस्टिंग भी की है. चंद्रयान-2 में ये सिस्टम नहीं था.
4. इसके अलावा लैंडिंग की स्पीड को 2 मीटर प्रति सेकेंड से बढ़ाकर 3 मीटर प्रति सेकेंड कर दिया है. इसका मतलब है कि लैंडिंग के दौरान 3 मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड पर भी क्रैश नहीं होगा.
5. चंद्रयान 3 में नए सेंसर्स जोड़े गए हैं, और विक्रम लैंडर में ज्यादा फ्यूल डालकर भेजा गया है. चंद्रयान 2 को लैंडिंग के लिए 500 मीटर x 500 मीटर के दायरे की पहचान करने की क्षमता के साथ भेजा गया था. इस बार चंद्रयान 3 मिशन 4 किलोमीटर x 2.5 किलोमीटर एरिया की पहचान कर सकता है.
6. चंद्रयान 3 चाहे किसी भी तरह से लैंड करे, इसे एनर्जी देने के लिए अलग से सोलर पैनल लगाए गए हैं. इसरो ने इसकी लैंडिंग को हेलिकॉप्टर और क्रेन के जरिए टेस्ट किया है.
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