Chandrayaan 3 Landing Here Are The Shayari And Poetry On Moon
Chandrayaan 3 Moon Landing: 14 जुलाई को चंद्रयान 3 को इसरो ने श्रीहरिकोटा से लांच किया, तब भारत में इसे लेकर काफी उत्साह देखा गया. अब अंतरिक्ष यान के लॉन्च होने के 41 दिन के बाद आज बुधवार (23 अगस्त) को चांद पर इसकी लैंडिंग होनी है, जिसे लेकर देश भर में दुआओं का दौर जारी है. लेकिन चांद से प्रेम सिर्फ वैज्ञानिक ही नहीं साहित्यिक भी है.
बचपन, जवानी से लेकर बुढ़ापे तक चांद को देखने का अपना-अपना नजरिया है. साहित्य में चांद और उसकी खूबसूरती को खूब जगह दी गई. शायरों ने तो नज़्मों और शायरियों में चांद का खूब इस्तेमाल किया.
पढ़ें शायरों की चांद पर शायरी
अहमद मुस्ताक लिखते हैं, कई चांद थे सर-ए-आसमां कि चमक चमक के पलट गए, न लहू मेरे ही जिगर में था न तुम्हारी ज़ुल्फ़ सियाह थी. (इस कविता को उर्दू के मशहूर साहित्यकार शम्सुर्रहमान फारुकी ने अपने किताब में शामिल किया, उनके किताब का नाम भी कई चांद थे सरे-आसमां है.)
इब्न इंशा उर्दू के मशहूर शायर हैं वे लिखते हैं, कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा, कुछ ने कहा ये चांद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा.
शायर फ़रहत एहसास लिखते हैं, चांद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है, अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है.
एक और शायरी में फ़रहत लिखते हैं, वो चांद कह के गया था कि आज निकलेगा, तो इंतज़ार में बैठा हुआ हूं शाम से मैं.
बशीर बद्र की शायरी, कभी तो आसमां से चांद उतरे जाम हो जाए, तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए
उर्दू के मशहूर शायर निदा फाजली लिखते हैं, दूर के चांद को ढूँडो न किसी आँचल में, ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला.
गुलज़ार ने भी चांद को लेकर लिखा है. वे लिखते हैं, शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं, चांद ने कितनी देर लगा दी आने में
उपन्यासकार और कवि इब्न-ए-सफ़ी ने लिखा है, चांद का हुस्न भी ज़मीन से है, चांद पर चांदनी नहीं होती.
1960 से 70 के दशक में मुशायरों के मशहूर शायर अनवर मिर्ज़ापुरी लिखते हैं, ऐ काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए, इक चांद फ़लक पर निकला हो इक चांद सर-ए-बाम आ जाए.
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