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Chandrayaan 3: चांद पर भारत पहुंचा है, लेकिन जमीन खरीदने की गलती मत कीजिएगा…जानिए वजह



<p style="text-align: justify;">भारत के चंद्रयान-3 ने बुधवार (23 अगस्&zwj;त 2023) को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर इतिहास रच डाला. भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने में सफल रहा. भारत की इस सफलता का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्&zwj;थान (ISRO) की इस कामयाबी के बाद पूरी दुनिया में चांद की चर्चा हो रही है. ऐसे में चांद पर जमीन खरीदने और बेचने वाले भी कम सक्रिय नहीं हैं, लेकिन यहां कई बेहद अहम सवाल खड़े हो रहे हैं- क्&zwj;या चांद पर जमीन खरीदने और बेचने वालों के पास सचमुच कोई कानूनी आधार है, क्&zwj;या चांद पर जब इंसानी बस्&zwj;ती बसेगी तो आज जमीन खरीदने वालों या उनकी पुश्&zwj;तों को वहां अपने प्&zwj;लॉट कटे हुए मिल जाएंगे?&nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp;&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">चांद पर जमीन खरीदने वालों की लिस्ट में कई बॉलीवुड एक्टर्स के नाम भी शामिल हैं. शाहरुख खान को एक फैन ने चांद पर जमीन गिफ्ट की थी. स्पेस में दिलचस्पी रखने वाले सुशांत सिंह राजपूत ने साल 2018 में चांद पर जमीन खरीदी थी. उनकी यह जमीन चांद के ‘सी ऑफ मकसिवो’ हिस्से में है. इनके अलावा कई आम नागरिकों ने भी चांद पर जमीन खरीदने का दावा किया है. अब आपके मन में सवाल होगा कि चांद पर जमीन कैसे खरीदी जाती है और यहां जमीन बेच कौन रहा है. लेकिन ये जानना उससे भी ज्यादा जरूरी है कि चांद पर जमीन खरीदना कानूनी है या गैरकानूनी?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>चांद पर जमीन खरीदना कानूनी या गैरकानूनी?</strong><br />10 अक्टूबर, 1967 के आउटर स्पेस ट्रीटी के मुताबिक, चांद पर जमीन खरीदना गैरकानूनी है. बाहरी अंतरिक्ष संधि अंतरिक्ष का पहला कानूनी डॉक्यमेंट था, जो पृथ्वी के अलावा चांद या किसी भी गृह पर जमीन खरीदने की कानूनी इजाजत नहीं देता है. इस समझौते पर 109 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें भारत भी शामिल है. &nbsp;ट्रीटी के मुताबिक, आउटर स्पेस पर किसी भी देश का अधिकार नहीं है. इसमें एस्ट्रनॉट्स के संबंध में कहा गया कि अंतरिक्ष में अध्ययन करना सभी देशों के लाभ के लिए है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>निजी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल की इजाजत नहीं</strong><br />संधि में अंतरिक्ष को मानवजाति के लिए साझा विरासत बताया गया है. द इंडियन एक्सप्रेस की साल 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के लीगल स्टडीज विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. स्टेलिना जॉली ने बताया कि साझा विरासत का मतलब है कि इसका किसी के भी द्वारा निजी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और न ही किसी का हक है. यह सभी के लिए है. बाहरी अंतरिक्ष संधि सरकारी स्पेस एजेंसियों को चांद और खगोलीय पिंडों में रिसर्च का अधिकार देती है. हालांकि, कोई गैर-सरकारी संस्था को इसकी इजाजत नहीं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>चांद पर कौन बेच रहा जमीन?</strong><br />चांद पर जमीन खरीदना गैरकानूनी है, बावजूद इसके कई लोगों ने जमीन खरीदने का दावा किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लूना सोसाइटी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल लूनार रजिस्ट्री जैसी कंपनियां चांद पर जमीन बेचेने का दावा करती हैं. इनका कहना है कि कई देशों ने उन्हें इसके लिए अधिकृत किया है. हालांकि, इस बात का उनके पास कोई प्रमाण नहीं है.</p>



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