Champai Soren announced new party JMM Congress and BJP influence in Jharkhand Ranchi ann
Jharkhand News: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के नई पार्टी के ऐलान के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है. उन्होंने कहा कि वह राजनीति नहीं छोड़ेंगे और नया सियासी दल बनाने का विकल्प उनके लिए हमेशा खुला है. चंपाई सोरेन ने कहा कि वह झामुमो नेताओं के हाथों अपमान का सामना करन के बाद अपनी योजनाओं पर अडिग हैं. उनके इस ऐलान के बाद ये जानना जरूरी है कि झारखंड में अब तक जितनी भी नई पार्टियां बनी हैं उनका भविष्य कैसा रहा.
बाबूलाल मरांडी की पार्टी का बीजेपी में विलय
दरअसल, झारखंड में नए राजनीतिक दलों को सफलता मिलती नहीं है. बीजेपी से अलग होकर बाबूलाल मरांडी ने झारखंड विकास मोर्चा बनाया था. 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी आठ सीटें जीती थी, लेकिन छह विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे. वहीं 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी तीन सीट जीती थीं, जिसमें से दो विधायक कांग्रेस में चले गए और बाबूलाल मरांडी बीजेपी में चले गए और अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया.
मधु कोड़ा की पार्टी का कांग्रेस में विलय
इसके अलावा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा जय भारत समानता नाम से अपनी पार्टी बनाई थे. 2009 के झारखंड विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी गीता कोड़ा इस पार्टी से चुनाव लड़ी और जीती भी थीं. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले गीता कोड़ा कांग्रेस में शामिल हो गईं और पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया.
झारखंड पार्टी भी हाशिये पर
वहीं झारखंड की सबसे पुरानी पार्टी झारखंड पार्टी (झापा) है. एनोस एक्का इसके अध्यक्ष हैं लेकिन अब पार्टी हाशिये पर है. 2005 में एनोस एक्का चुनाव जीत कर झारखंड सरकार में मंत्री बने थे. 2009 में पीटर राजा इस पार्टी से चुनाव लड़े थे और तत्कालीन CM शिबू सोरेन को हरा दिया था.
आजसू का क्या हुआ?
ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) सुदेश महतो की पार्टी है. यह पार्टी शुरू से एनडीए में है. झारखंड में लेकिन दो तीन सीट से ज्यादा यह पार्टी कभी जीत नहीं पाई. सबसे ज्यादा चार सीट यह पार्टी 2014 विधानसभा चुनाव में जीती थी. वहीं जदयू का झारखंड में एक भी विधायक नहीं था, लेकिन निर्दलीय विधायक सरयू राय जदयू में आ गए हैं.
आरजेडी की क्या है स्थिती?
इसके अलावा लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का एक विधायक सत्यानंद भोक्ता हैं, जो झारखंड सरकार में मंत्री भी हैं. 2019 में पांच सीटों पर महागठबंधन में विधानसभा चुनाव आरजेडी लड़ी थी, लेकिन सिर्फ एक सीट जीत पाई थी.
अजित पवार की पार्टी का क्या है प्रभाव?
वहीं झारखंड में एनसीपी का थोड़ा प्रभाव है. 2019 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी से चुनाव जीतकर कमलेश सिंह विधायक बने थे. एसीपी में टूट के बाद वह एनसीपी अजित पवार गुट में हैं और अभी झारखंड में एनडीए में हैं.
बता दें कि झारखंड में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इस चुनाव में कड़ी टक्कर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच है.
एनडीए का कुनबा कितना बड़ा
बीजेपी
जेडीयू
आजसू
इंडिया गठबंधन
आरजेडी
कांग्रेस
जेएमएम
लेफ्ट