Chamba Minjar Mela Begins Know What is its history in Himachal Pradesh ANN | Chamba Minjar Mela: चंबा के ऐतिहासिक मिंजर मेले की शुरुआत, जानें
Chamba Minjar Mela News: हिमाचल प्रदेश के दूरदराज जिला चंबा में मिंजर मेले की शुरुआत हो गई है. राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने चंबा के ऐतिहासिक मिंजर मेले में बतौर मुख्यअतिथि शिरकत की. उन्होंने मधुर कुंजड़ी-मल्हार गीतों की धुनों के बीच मिंजर ध्वज फहराकर मेले का औपचारिक शुभारंभ किया. राज्यपाल ने कहा कि अपनी समृद्ध परंपराओं के लिए प्रसिद्ध मिंजर मेला हिमाचल प्रदेश की अनूठी संस्कृति को प्रदर्शित करता है और भाईचारे और बंधुत्व की भावना को बढ़ावा देता है.
क्या है मिंजर मेले का इतिहास?
मिंजर का ऐतिहासिक चंबा का सबसे लोकप्रिय मेला है. इसमें पूरे देश से लोग शामिल होने लिए पहुंचते हैं. यह मेला श्रावण महीने के दूसरे रविवार को आयोजित किया जाता है. मेला की घोषणा मिंजर के वितरण से की जाती है, जो पुरुषों और महिलाओं के पहने पोशाकों के कुछ हिस्सों पर रेशम की लटकन के रूप में समान रूप पहनी जाती है. यह लटकन धान और मक्का की कटाई का प्रतीक है, जो साल के इस समय के आसपास उनकी उपस्थिति बनाते हैं.
जब ऐतिहासिक चौहान मैदान में मिंजर का झंडा फहराया जाता है, तब हफ्ते भर का मेला शुरू होता है. मिंजर मेला 935 ई. में त्रिगर्त (अब कांगड़ा) के शासक पर चंबा के राजा की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि अपने विजयी राजा की वापसी पर लोगों ने धान और मक्का की मालाओं से अभिवादन किया, जो कि समृद्धि और खुशी का प्रतीक है.
लाल कपड़े में बांधकर चढ़ाया जाता है मिंजर
मेले में एक विशाल लोगों की भीड़ वहां पहले से इकट्ठा होती है. पहले राजा और अब मुख्य अतिथि एक नारियल, एक रुपया, एक मौसमी फल और एक मिंजर जो लाल रंग के कपड़े में बंधे होते हैं. इसमें लोहान-नदी में चढ़ाया जाता है. इसके बाद सभी लोग नदी में अपने मिंजरों को चढाते हैं. पारंपरिक कुंजरी-मल्हार को स्थानीय कलाकार गाते हैं. सम्मानित और उत्सव की भावना के रूप में आमंत्रित लोगों के बीच हर किसी को बेटल के पत्ते और इत्र दी जाती है.
राज्यपाल ने नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर व्यक्त की चिंता
मिंजर मेले का शुभारंभ करते हुए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने मिंजर उत्सव को प्राचीन लोक परंपराओं, विश्वास और आस्थाओं के साथ गहरे संबंधों का प्रतीक बताया. उन्होंने प्रदेश में बढ़ रही नशे की लत को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की. उन्होंने इस बुराई के खिलाफ सामूहिक जागरूकता पर बल देते हुए कहा कि सभी को बुराई का एकजुट होकर सामना करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारी सामाजिक संरचना नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे असामाजिक तत्वों का मुकाबला करने के लिए संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है.