CBI ने पुलिस से लिया लातूर नीट पेपर लीक मामला, गिरफ्तार आरोपियों की हिरासत के लिए अदालत में याचिका
मुंबई:
लातूर NEET पेपर लीक मामले (Latur NEET Paper Leak Case) को आखिरकार सीबीआई ने अपने हाथ में ले लिया है. सीबीआई की एक टीम आज लातूर पहुंची, जहां उसने लातूर पुलिस से दस्तावेज लिए और अदालत में गिरफ्तार आरोपी जलील पठान और संजय जाधव की हिरासत के लिए अर्जी दाखिल की है. इस अर्जी पर कल सुनवाई होनी है. इस बीच केस सीबीआई को दिए जाने पर बचाव पक्ष के वकील बलवंतराव जाधव ने दावा किया कि लातूर पेपर लीक केस का दिल्ली से कोई कनेक्शन नहीं है. जाधव ने कहा कि अब सीबीआई जांच कर रही है, लेकिन हमारी लातूर पुलिस अच्छा काम कर रही थी. कोर्ट में 7 दिन में जो तहकीकात की गई है कल वो हमसे जुड़ती है या नहीं वो देखेंगे और उसके बाद कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे.
महाराष्ट्र एटीएस की शिकायत पर लातूर की शिवाजी नगर पुलिस ने 23 जून को मामला दर्ज कर अब तक दो शिक्षकों को गिरफ्तार किया है. जलील पठान जिला परिषद स्कूल का मुख्याध्यापक था तो संजय जाधव सोलापुर के स्कूल में शिक्षक था.
दोनों के मोबाइल से मिले थे 14 एडमिट कार्ड
पुलिस के मुताबिक दोनों के मोबाइल फोन गैलरी में NEET की परीक्षा के 14 एडमिट कार्ड मिले हैं, जिसमें से 8 से 9 पटना के स्कूल के हैं. वहीं बच्चे लातूर और बीड जिले के रहने वाले हैं. आरोप है कि दोनों ने NEET परीक्षा में 650 अंक से ज्यादा दिलाने के लिए प्रति छात्र 5 लाख का सौदा किया था और फिर उनकी जानकारी धाराशिव के आईटीआई संस्था में सुपरवाइजर इरन्ना कोनगलवार और दिल्ली के गंगाधर को भेजते थे. आरोप है कि दोनो पेपर लीक केस में एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे.
देश के सभी मामलों को सीबीआई को सौंपा गया
अभी तक लातूर पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी. देश के अलग-अलग राज्यों में NEET पेपर लीक केस के मामले सामने आने के बाद अब सब मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है. लातूर पुलिस की मानें तो अभी तक की जांच में लातूर का केस पेपर लीक का नहीं बल्कि परीक्षा केंद्रों में धांधली या गड़बड़ी का लगता है.
हालांकि ये भी सच है कि लातूर पुलिस लाख कोशिश करने के बाद भी फरार दोनों आरोपी इरन्ना और गंगाधर को गिरफ्तार नहीं कर पाई है. दोनों की गिरफ्तारी के बाद ही लातूर पेपर लीक केस के असली खेल का खुलासा हो पाएगा.
महाराष्ट्र विधानसभा में गूंजा पेपर लीक मामला
इस बीच लातूर पेपर लीक का मामला महाराष्ट्र विधानसभा में भी गूंजा. जिसे लेकर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पेपर लीक के खिलाफ कड़ा कानून बनाने की घोषणा की है. फडणवीस ने कहा कि ऐसा नहीं है कि आज हमारे पास कानून नहीं है, लेकिन विशिष्ट परिस्थितियों के लिए विशेष कानून लगते हैं. अभी के कानून के हिसाब से हमें कभी धारा 420 लगानी पड़ती है तो कभी कुछ और. यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं के लिए 1982 से कानून है, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक समग्र कानून तैयार करना जरूरी है. केंद्र सरकार ने किया है और राज्य सरकार भी करेगी.
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