CBI Special Court Visakhapatnam on postal scam sentenced Talla Narayan Rao 5 years imprisonment fine Rs 60.06 lakh ANN
सीबीआई विशाखापट्टनम की विशेष अदालत ने पोस्टल घोटाले में दोषी पाए गए तल्ला नारायण राव (तत्कालीन ग्रामीण डाक सेवक, ब्रांच पोस्ट मास्टर, सतीवाड़ा, श्रीकाकुलम, आंध्र प्रदेश) को 5 साल की सजा और 60.06 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह मामला मनरेगा योजना के लाभार्थियों के वेतन में हेरफेर कर 1.53 करोड़ रुपये की गड़बड़ी से जुड़ा हुआ है.
कैसे हुआ घोटाला?
सीबीआई ने 28 दिसंबर 2016 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी. जांच में सामने आया कि 25 अक्टूबर 2013 से 8 सितंबर 2015 के बीच तल्ला नारायण राव को मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत 2.81 करोड़ रुपये की राशि लाभार्थियों को बांटने के लिए दी गई थी, लेकिन आरोप है कि राव ने इस दौरान मनरेगा मजदूरों की संख्या और उनके वेतन की राशि में हेरफेर किया. उन्होंने प्वाइंट ऑफ ट्रांजेक्शन डिवाइस (POTD) से तैयार रसीदों में छेड़छाड़ की और खातों में 1.53 करोड़ रुपये का हेरफेर किया. इस तरह उन्होंने पोस्टल विभाग, आंध्र प्रदेश सरकार और भारत सरकार को 1.53 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया जबकि खुद गलत तरीके से यह राशि हासिल की.
सीबीआई जांच और कोर्ट का फैसला
सीबीआई ने इस मामले की जांच पूरी कर 1 नवंबर 2016 और 20 फरवरी 2017 को विशेष अदालत में दो चार्जशीट दाखिल की. अदालत ने सबूतों और गवाही के आधार पर तल्ला नारायण राव को दोषी करार दिया और पांच साल की सजा सुनाई. इसके अलावा 60.06 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.
मनरेगा योजना और घोटाले की सच्चाई
मनरेगा भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण रोजगार गारंटी योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में कामगारों को 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित करना है. इस योजना में सरकार मजदूरों को सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान करती है लेकिन कई बार बिचौलिए और भ्रष्ट अधिकारी इसमें धांधली कर मजदूरों के नाम पर पैसा हड़प लेते हैं.
सीबीआई की कार्रवाई से बढ़ी सख्ती
पोस्टल विभाग में हुए इस घोटाले ने सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और निगरानी की जरूरत को फिर से उजागर किया है. सीबीआई की कड़ी जांच और दोषियों को सजा मिलने से यह संदेश गया है कि सरकारी धन का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामलों में सख्त सजा और डिजिटल निगरानी से भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती है.
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