CBI special court sentenced four convicts to rigorous imprisonment in case of government funds scam in Tripura ann
Govt Fund Scam In Tripura: त्रिपुरा में सरकारी धन के गबन से जुड़े एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने चार दोषियों को कठोर कारावास की सजा सुनाई है. दोषियों में विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालय, अगरतला के तत्कालीन अन्वेषक अच्युत कुमार दास उर्फ ए.के. दास, त्रिपुरा सरकार के पीजी शिक्षक कमल कृष्ण देबनाथ, और दो निजी व्यक्ति ,महिला विकास सोसाइटी, रानीर गांव, पश्चिम त्रिपुरा की तत्कालीन अध्यक्ष कल्पना देबनाथ और सचिव संजय देबनाथ उर्फ भोला शामिल हैं.
सीबीआई की विशेष अदालत ने अच्युत कुमार दास को 5 वर्ष का कठोर कारावास और ₹75,000 का जुर्माना, कमल कृष्ण देबनाथ को 4 वर्ष का कठोर कारावास और ₹20,000 का जुर्माना, वहीं, कल्पना देबनाथ और संजय देबनाथ को 4 वर्ष का कठोर कारावास और ₹55,000 का जुर्माना लगाया है.
मामले का सारांश
सीबीआई ने 31 जुलाई 2012 को यह मामला दर्ज किया था. आरोप था कि 2010-2011 के दौरान इन आरोपियों ने अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना के तहत बांस और बेंत शिल्प में कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल कागजों पर दिखाकर ₹4,50,000 का गबन किया. यह धनराशि प्रशिक्षकों के वेतन और प्रशिक्षुओं के मुआवजे के रूप में आवंटित की गई थी, लेकिन इसका कोई वास्तविक उपयोग नहीं हुआ.
अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना क्या है?
यह योजना हस्तशिल्प कारीगरों को संगठित कर उन्हें बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन विकास में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य कारीगरों को स्वयं सहायता समूहों में संगठित कर उनकी उत्पादन क्षमता और विपणन कौशल में सुधार करना है.
सीबीआई की कार्रवाई
बता दें कि सीबीआई ने 30 जून 2014 को इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया. 31 अगस्त 2017 को अदालत ने आरोप तय किए. वहीं, मुकदमे के दौरान 48 गवाहों को पेश किया गया. अदालत ने सभी सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर चारों आरोपियों को दोषी ठहराया और सजा सुनाई.
सरकारी धन की पारदर्शिता पर सवाल
यह मामला सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर करता है. सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त निगरानी और कानूनी कार्रवाई आवश्यक है, ताकि वास्तविक लाभार्थियों तक योजनाओं का लाभ पहुंच सके.
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