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CBI Files FIR Against Ex Trinamool MP Mahua Moitra In Cash-For-Query Case


Mahua Moitra: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सांसदी गंवाने वाली महुआ के खिलाफ ‘कैश फॉर क्वेरी’ यानी पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एफआईआर दर्ज की है. एंटी-करप्शन संस्था लोकपाल के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई की तरफ से ये एफआईआर दर्ज की गई है. पिछले साल दिसंबर में कैश फॉर क्वेरी केस में महुआ मोइत्रा की सांसदी चली गई थी. 

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ पर ‘कैश फॉर क्वेरी’ का आरोप लगाया था, जिसके बाद सीबीआई ने इस केस की जांच की. लोकपाल ने सीबीआई की शुरुआती जांच के नतीजों के आधार पर गुरुवार (21 मार्च) को एजेंसी को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी किए हैं. लोकपाल ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में टीएमसी नेता के खिलाफ शिकायतों के सभी पहलुओं की जांच करें और फिर छह महीने में अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करे. 

निष्कासन को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

दरअसल, लोकसभा ने पिछले साल दिसंबर में महुआ मोइत्रा को अनैतिक आचरण के लिए निष्काषित कर दिया था. महुआ पर आरोप था कि उन्होंने पैसे लेकर संसद में सवाल पूछे हैं और अपनी पार्लियमेंट्री लॉगिन आईडी पासवर्ड को शेयर किया है. टीएमसी की पूर्व सांसद ने अपने निष्कासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हालांकि, वह लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से टीएमसी उम्मीदवार के रूप में फिर से मैदान में होंगी. 

महुआ मोइत्रा पर क्या आरोप हैं?

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा ने बिजनेसमैन गौतम अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य पर निशाना साधने के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से कैश और गिफ्ट के बदले में लोकसभा में सवाल पूछे. हालांकि, महुआ ने सभी आरोपों से इनकार किया है.

लोकपाल ने अपने निर्देश में क्या कहा? 

लोकपाल की पीठ ने आदेश में कहा, “लोकपाल ने पाया कि प्रतिवादी लोक सेवक के खिलाफ लगाए गए आरोप बेहद गंभीर प्रकृति के हैं, जिनमें से अधिकतर के पक्ष में ठोस सबूत हैं.” आदेश में कहा गया, ‘‘इसलिए, हमारी सुविचारित राय में सच्चाई का पता लगाने के लिए गहरी जांच की जरूरत है.” इसमें कहा गया कि लोक सेवक अपने कर्तव्यों के निर्वहन में ईमानदारी बरतने के लिए बाध्य है, चाहे वह किसी भी पद पर हो.” पीठ में न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी (न्यायिक सदस्य) और सदस्य अर्चना रामसुंदरम और महेंद्र सिंह शामिल हैं. 

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