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CBI Court Ahmedabad in bank fraud case convicted two former managers Punjab and Sind Bank sentenced them to three years imprisonment ann


सीबीआई कोर्ट अहमदाबाद ने बैंक धोखाधड़ी के एक पुराने मामले में पंजाब एंड सिंध बैंक सूरत ब्रांच के दो पूर्व मैनेजर, एक पूर्व अधिकारी और चार व्यक्तियों को दोषी करार देते हुए तीन साल कठोर कैद की सजा सुनाई है. अदालत ने सभी दोषियों पर कुल 27.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

कौन हैं दोषी?
अहमदाबाद की सीबीआई विशेष अदालत ने इस मामले में पंजाब एंड सिंध बैंक, सूरत ब्रांच के पूर्व अधिकारी के.आर. गोयल (मैनेजर), राकेश बहल (मैनेजर) और शिवराम मीणा (अधिकारी) के साथ-साथ चार व्यक्तियों- मंजीत सिंह बख्शी, मनीष जी. पटेल, पवन कुमार बंसल और संदीप कुमार बंसल को दोषी ठहराया है.

क्या है मामला?
यह बैंक धोखाधड़ी साल 2000-2002 के बीच की है. सीबीआई ने इस मामले में 31 मार्च 2004 को चार्जशीट दाखिल की थी. जांच में पता चला है कि बैंक अधिकारियों और व्यक्तियों ने मिलकर 1.84 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. आरोप था कि बैंक अधिकारियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए भारी रकम के चेक पास किए. इन चेकों का भुगतान बिना किसी उचित प्रक्रिया के किया गया और इनकी मंजूरी भी बैंक के उच्च अधिकारियों से नहीं ली गई. ये चेक निजी आरोपियों की कंपनियों और सहयोगी फर्मों के खातों से जुड़े थे.

कैसे हुआ घोटाला?
बैंक के अधिकारियों ने निजी व्यक्तियों की कंपनियों को चेक डिस्काउंटिंग और खरीद के नाम पर धोखाधड़ी से बड़ी रकम पास कर दी. इन लेन-देन की मंजूरी लेने के बजाय उन्होंने बैंक के हेड ऑफिस से इसे छुपाने की कोशिश की. बिना पर्याप्त बैलेंस के भी भारी रकम के चेक क्लियर किए गए. यह सब बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया, जिससे बैंक को भारी नुकसान हुआ.

कैसे हुई सजा?
सीबीआई की जांच के बाद इस मामले में अदालत में सुनवाई चली. मुकदमे के दौरान 53 गवाहों के बयान दर्ज किए गए और 243 दस्तावेजों को बतौर सबूत पेश किया गया. इन सबूतों के आधार पर कोर्ट ने सभी सात आरोपियों को दोषी करार दिया और तीन साल की कठोर सजा सुनाई. साथ ही कोर्ट ने सभी दोषियों पर 27.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.

भारत में बैंक घोटालों की बढ़ती घटनाएं
बैंक धोखाधड़ी के मामले देशभर में तेजी से बढ़ रहे हैं. नीरव मोदी-पीएनबी घोटाला, यस बैंक घोटाला, विजय माल्या का किंगफिशर घोटाला जैसे कई बड़े घोटाले सामने आ चुके हैं. हाल ही में कई अन्य बैंक अधिकारी भी फर्जी कर्ज, चेक डिस्काउंटिंग और फर्जी दस्तावेजों के जरिए धोखाधड़ी में पकड़े गए हैं.

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