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Can Mamata Banerjee stop implementation of New Waqf law passed by Parliament Know what Constitution says ANN


वक्फ संशोधन कानून को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. मुस्लिम संगठनों के विरोध के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह तक कह दिया है कि वह इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगी. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या वाकई कोई राज्य सरकार संसद से पारित कानून को अपने यहां लागू होने से रोक सकती है? इस लेख में हम इस सवाल जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे.

वक्फ समवर्ती सूची का विषय

भारत में कानून से जुड़े विषयों को तीन श्रेणी में बांटा गया है- केंद्रीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची. केंद्रीय सूची के विषयों पर संसद में ही कानून बन सकता है और वह पूरे देश में लागू होता है. राज्य सूची में जो विषय आते हैं, उनमें राज्य विधानसभा को कानून बनाने का विशेषाधिकार होता है. समवर्ती सूची के विषयों पर संसद और विधानसभा दोनों कानून बना सकते हैं. धर्मार्थ संस्थाओं और उन्हें दिए जाने वाले दान से जुड़े मामलों को समवर्ती सूची में 28वें नंबर पर जगह दी गई है. वक्फ भी धर्मार्थ ट्रस्ट ही होता है. ऐसे में उससे जुड़ा कानून बनाने का अधिकार संसद और विधानसभा दोनों के पास है.

संसद से बने कानून को प्रमुखता

समवर्ती सूची पर कानून बनाने का अधिकार भले ही राज्यों को भी दिया गया है, लेकिन उनके अधिकार बहुत सीमित हैं. अगर किसी विषय पर संसद ने कानून बनाया है तो संविधान में उसे ही प्रमुखता दी गई है. राज्य की विधानसभा की तरफ से बने कानून के जो भी प्रावधान संसद से पारित कानून से अलग होंगे, उन्हें लागू नहीं किया जा सकता.

राज्य सरकारें लागू करने से मना नहीं कर सकती

संविधान के अनुच्छेद 256 में स्पष्ट प्रावधान है कि संसद से पारित कानून को अपने यहां लागू करने से कोई भी राज्य सरकार मना नहीं कर सकती है. अगर कोई राज्य सरकार संसद से पारित कानून को अपने यहां लागू नहीं करती है, तो केंद्र सरकार को अनुच्छेद 256 के तहत राज्य सरकार को इसका निर्देश देने का अधिकार है.

राज्य का मना करना संवैधानिक संकट

अगर केंद्र सरकार की तरफ से दिए गए निर्देश को कोई राज्य सरकार नहीं मानती तो संविधान के अनुच्छेद 365 के तहत इसे एक संवैधानिक संकट माना जाएगा. ऐसी स्थिति में राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने पर भी विचार किया जा सकता है.

अलग कानून के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी

अगर कोई राज्य सरकार संसद की तरफ से पारित कानून से अलग कोई कानून बनाना चाहती है तो अनुच्छेद 254 के तहत उसे इसके लिए राष्ट्रपति से अनुमति लेनी पड़ेगी. राष्ट्रपति की अनुमति के बिना राज्य की विधानसभा से बना कानून प्रभावी नहीं हो सकता. ऐसे में ममता बनर्जी का यह दावा संविधान की कसौटी पर बेहद कमज़ोर मालूम पड़ता है कि वह वक्फ संशोधन कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी.

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