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फिजिकल गोल्ड के अलावा डिजिटल गोल्ड में निवेश पर बढ़ा भरोसा
आजकल लोग सोने में निवेश के लिए फिजिकल गोल्ड (Physical Gold ) के अलावा डिजिटल गोल्ड (Digital Gold ) पर भी ज्यादा भरोसा करने लगे हैं. क्योंकि जब सोना फिजिकल तौर पर खरीदते हैं तो हमें इसको निवेश के तौर पर नहीं देखना चाहिए, क्योंकि ये खपत के लिए होता है. मनचाही ज्वेलरी बनवाने में मेकिंग चार्ज और डिजाइन चार्ज भी देना पड़ता है, जिससे इसका रिटर्न वैसे ही कम हो जाता है. इसलिए अगर आप भी इस धनतेरस सोना खरीदने या सोने में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो इसके लिए निवेश के सभी तरीकों को जान लेना जरूरी है.
निवेश के लिए आप इन चार तरीकों के बारे में सोच सकते हैं.
1- गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold ETF)
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) फिजिकल गोल्ड का एक विकल्प होता है. इसमें आपको फिजिकल फॉर्म में सोना तो नहीं मिलता, लेकिन कीमतें सोने के भाव पर चलती है. आसान भाषा में समझें तो गोल्ड ETF खरीदने का मतलब है कि आप लेकिन इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में फिजिकल सोना खरीद रहे हैं. इसका एक बड़ा फायदा है कि ये शेयर बाजार में लिस्ट होता है और एक्सचेंज पर ट्रेडिंग होती है. NSE, BSE पर इस गोल्ड ETF की खरीद-फरोख्त की जाती है. दूसरा फायदा ये है कि इसमें आपको सोने की शुद्धता की चिंता नहीं होती है. जब आप एक्सचेंज पर गोल्ड ETF को बेचते हैं तो आपको फिजिकल सोना नहीं मिलता है, बल्कि आपको सोने की कीमत के बराबर पैसा आपके खाते में आ जाता है. इसमें मिनिमम 1 ग्राम सोने में निवेश किया जा सकता है, निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं है.
2- गोल्ड म्यूचुअल फंड्स (Gold Mutual Funds)
गोल्ड म्यूचुअल फंड्स, जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि ये एक म्यूचुअल फंड है जो सोने में निवेश करता है. ये एक ओपेन एंडेड इन्वेस्टमेंट होता है, जो कि गोल्ड ETF में निवेश करता है. इसमें आप 500 रुपये से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इसमें आमतौर पर वो लोग निवेश करते हैं जिन्हें लंबी अवधि में ज्यादा रिटर्न चाहिए होता है, साथ ही जिनको शेयर मार्केट में गिरावट के बदले थोड़ा सपोर्ट चाहिए. कई बार अच्छे गोल्ड फंड में निवेश से मिलने वाला रिटर्न, सोने की वास्तविक कीमत से भी ज्यादा होता है.
गोल्ड म्यूचुअल फंड में टैक्सेशन का भी ध्यान रखना चाहिए, इसमें टैक्स वैसे ही लगता है जैसे गोल्ड ज्वेलरी पर लगता है. टैक्स कितना लगेगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि निवेश कितनी अवधि के लिए किया गया है. मान लीजिए निवेश के तीन साल के अंदर आपने रिडीम किया तो इसे शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट माना जाएगा. ऐसे में रकम को निवेशक की कुल ग्रॉस इनकम में जोड़कर टैक्स वसूल किया जाएगा. अगर निवेश की अवधि 3 साल से ज्यादा है. तो ये लॉन्ग टर्म निवेश माना जाएगा और इंडेक्सेशन के साथ 20% टैक्स लगेगा. इसके अलावा सेस और कुछ दूसरे टैक्स भी देने होंगे.
3- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond)
सोने में निवेश का एक बेहद सुरक्षित जरिया है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड. इसे रिजर्व बैंक की तरफ से जारी किया जाता है. इसे आप बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL), नामित डाकघरों और स्टॉक एक्सचेंजों – NSE, BSE के जरिए खरीद सकते हैं. ये स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होते हैं. इसकी पेमेंट आप डिजिटल तरीक से, UPI से कर सकते हैं. अगर फिजिकल पेमेंट करना चाहते हैं तो कैश, चेक और ड्राफ्ट कुछ भी दे सकते हैं.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में कोई व्यक्ति, HUF, ट्रस्ट, विश्वविद्यालयों और चैरिटेबल संस्थाएं निवेश कर सकती हैं. इसमें न्यूनतम निवेश 1 ग्राम है. जबकि, कोई व्यक्ति इस स्कीम में 4 किलोग्राम तक अधिकतम निवेश कर सकता है. ट्रस्ट और दूसरी ही ऐसी संस्थाओं के लिए अधिकतम निवेश 20 किलो है. इसमें लॉक इन पीरियड 8 साल का है, लेकिन 5वें साल में इससे एग्जिट भी कर सकते हैं.
4- डिजिटल गोल्ड (Digital Gold)
डिजिटल गोल्ड भी फिजिकल गोल्ड का एक विकल्प है. आप बहुत आसानी से अपने मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए गोल्ड में निवेश कर सकते हैं. आजकल बहुत सारी वॉलेट कंपनियां डिजिटल गोल्ड की सुविधाएं देती हैं. कई बैंकों और मोबाइल वॉलेट और ब्रोकरेज कंपनियों ने MMTC-PAMP या सेफगोल्ड के साथ साझेदारी की हुई है. पेटीएम, फोनपे, गूगलपे और स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन से डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं.