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Uproar Over Constitution: राज्यसभा में मंगलवार (11 फरवरी, 2025) को एक बार फिर से संविधान के अपमान का मुद्दा उठा. सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर संविधान का आरोप लगाया तो विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर संविधान के अपमान का आरोप लगाते हुए सदन से वाक आउट कर दिया.
दरअसल, राज्यसभा में शून्य काल के दौरान बीजेपी सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने आरोप लगाया कि जब संविधान तैयार किया गया तो उस पर राम, कृष्ण, बुद्ध, लक्ष्मीबाई, महावीर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, समेत तमाम महापुरुषों की तस्वीर लगी हुई थी लेकिन उसको कांग्रेस के लोगों ने हटाने का काम किया. राधा मोहन दास अग्रवाल कैसे स्टैंड पर विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया.
जेपी नड्डा ने पूछा ये सवाल
विपक्ष के हंगामा पर राज्यसभा में नेता सदन और और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने विपक्ष की ओर से किए जा रहे हैं प्रदर्शन पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब संविधान की मूल प्रति में यह 22 चित्र रखे गए थे तो आखिर बाद में उनको क्यों हटा दिया गया?
उपराष्ट्रपति ने क्या कहा?
विपक्ष के लगातार हंगामे पर राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने कहा कि संविधान की जो मूल प्रति थी उसका अभिन्न अंग है 22 कृतियां, जो भारत की यात्रा के 5000 साल का सार दिखाती हैं. आज के दिन कोई भी संविधान की पुस्तक लेता है तो उसमें यह नहीं है और यह अनुचित है.
राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं सदन के नेता से आग्रह करूंगा कि हमारे संविधान जिस पर संविधान निर्माता ने दस्तखत किए हैं उसमें उतना ही बदलाव हो सकता है जिसको सांसद ने स्वीकार किया, उसके अलावा कोई भी बदलाव किसी भी व्यवस्था के तहत स्वीकार नहीं किया जा सकता.
राज्यसभा के अध्यक्ष ने कहा कि संविधान की फिलहाल किसी पुस्तक में वह 22 कृतियां नहीं दिखाई देती, जबकि मूल संविधान की प्रति मैं वह 22 तस्वीर मौजूद थीं, यह वही मूल प्रति थी जिस पर संविधान निर्माताओं ने हस्ताक्षर किए हैं.
जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं सदन के नेता से अपील करता हूं कि वो यह सुनिश्चित करें कि देश में संविधान का केवल authentic version ही प्रचारित होना चाहिए.
विपक्ष लगाता रहा आरोप
वहीं, सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के बीच संविधान के अपमान को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी रहा. सदन के अंदर से लेकर सदन के बाहर तक सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों एक दूसरे पर संविधान के अपमान का आरोप लगाते रहे.
वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है जब इस तरह से सत्ता पक्ष और विपक्षी दूसरे पर संविधान के अपमान का आरोप लगा रहे हों, पिछले कुछ महीनो के दौरान ऐसे लगातार मामले सामने आ रहे हैं जब सत्ता पक्ष विपक्ष पर और विपक्ष सत्ता पक्ष पर संविधान के अपमान का आरोप लगाता हुआ नजर आया है. इतना ही नहीं पिछले साल संपन्न हुए लोकसभा चुनाव और उसके बाद संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी संविधान के अपमान का मुद्दा एक बड़ा राजनीतिक से मुद्दा भी बना रहा है.