Bjp Not Announce Candidate In Raebareli And Kaiserganj For Loksabha Elections Waiting For Congress And SP – रायबरेली और कैसरगंज में BJP ने अब तक नहीं खोले पत्ते, आखिर किस बात का इंतजार?
नई दिल्ली:
बीजेपी उत्तर प्रदेश में 75 सीटों पर लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) लड़ने जा रही है. वहीं पांच सीटें सहयोगी दलों, आरएलडी, अपना दल और ओपी राजभर की सुभाषपा को दी गई हैं. ज्यादातर सीटों पर बीजेपी ने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है लेकिन उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट रायबरेली (Raebareli) और कैसरगंज पर अब तक पार्टी ने अब तक पत्ते नहीं खोले हैं. इन सीटों पर सस्पेंस अब तक जारी है. बीजेपी रायबरेली सीट पर उम्मीदवार उतारने से पहले आखिर किस बात का इंतजार कर रही है? इस सवाल का जवाब यह है कि बीजेपी कांग्रेस पर नजरें गड़ाए है. वहीं कैसरगंज सीट (Kaiserganj) पर ब्रजभूषण शरण सिंह की खराब हुई छवि की वजह से पार्टी कश्मकश में नजर आ रही है.
रायबरेली में BJP को किस का इंतजार?
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रायबरेली सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. अब तक सोनिया गांधी इस सीट से जीतकर लोकसभा जाती रही हैं. इस बार उन्होंने चुनाव न लड़ने का ऐलान पहले ही कर दिया था. यह जिताऊ सीट गांधी परिवार के हाथ से चली जाए, ये तो संभव नहीं लगता. इस बात का अंदाजा तो सोनिया गांधी के उस रायबरेली के नाम लिखे उसे खत से भी लगाया जा सकता है, जिसमें उन्होंने यहां के लोगों से गांधी परिवार पर आशीर्वाद बनाए रखने का भरोसा जताया था. तो ऐसा में राहुल या प्रियंका गांधी को इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार बना सकती है. बीजेपी यही देखना चाहती है कि क्या गांधी परिवार का कोई शख्स रायबरेली सीट से चुनाव लड़ेगा या नहीं.
राहुल या प्रियंका? रायबरेली से कौन लड़ेगा चुनाव
बीजेपी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि रायबरेली से राहुल गांधी या फिर प्रियंका गांधी कौन चुनाव लड़ सकता है. इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार का नाम सामने आने के बाद बीजेपी उसी हिसाब से अपनी रणनीति तय करेगी, या यूं कहें कि उनका मुकाबला करने वाला उम्मीदवार तय करेगी. हाालांकि बीजेपी की तरफ से रायबरेली में दिनेश प्रताप सिंह या मनोज पांडे के नामों की चर्चा तेज है. लेकिन आखिरी फैसला पार्टी कांग्रेस के पत्ते खुलने के बाद ही लेना चाहती है. यही वजह है कि रायबरेली सीट पर अब तक बीजेपी का सस्पेंस जारी है.
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के समर्थकों ने रायबरेली में उनके पोस्टर लगाते हुए पार्टी आलाकमान से उन्हें लोकसभा चुनाव में सीट देने की मांग की है. पिछले दो दशकों से सोनिया गांधी इस सीट का प्रतिनिधित्व करती आ रही हैं, लेकिन अब वह राज्यसभा सांसद बन गई हैं. कांग्रेस ने अभी तक रायबरेली सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. यह सीट कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है.
कैसरगंज में ब्रज भूषण या कोई और?
वहीं कैसरगंज सीट पर भी अब तक बीजेपी ने पत्ते नहीं खोले हैं. वैसे तो इस सीट पर मौजूदा सांसद ब्रज भूषण शरण सिंह का दबदबा माना जाता है. लेकिन बीजेपी ने अब तक उनके नाम का ऐलान नहीं किया है. जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी ब्रज भूषण का टिकट इस सीट से काट सकती है. ब्रज भूषण के परिवार को टिकट देने पर भी अभी तक सस्पेंस की स्थिति है. पेंच यह है कि बीजेपी अगर मौजूजा सांसद ब्रज भूषण का टिकट काटती है तो उसे अंदरूनी संकट का सामना करना पड़ सकता है. यही वजह है कि पार्टी ने अब तक अपने पत्ते कैसरगंज सीट पर नहीं खोले हैं. हालांकि ब्रज भूषण लगातार कैसरगंज से दोबारा टिकट मिलने का दावा कर रहे हैं. कैसरगंज सीट पर 20 मई को मततदान होना है.
कैसरगंज में बीजेपी के सामने कौन सा पेंच?
अगर बीजेपी कैसरगंज से ब्रज भूषण का टिकट काटती है तो उसकी बड़ी वजह पिछले दिनों उनकी छवि को नुकसान पहुंचना हो सकती है. दरअसल पहलवानों के गंभीर आरोपों और धरना प्रदर्शन के बाद बीजेपी को उन्हें कुश्ती फेडरेशन से भी हटाना पड़ा था. उन पर लगे यौन शोषण के आरोपों के बाद इसे विपक्ष बड़ा मुद्दा बनाकर चुनाव में भुनाने की कोशिश कर सकती है. यही वजह है कि इस सीट पर मुकाबला पहले से ज्यादा कड़ा हो गया है और बीजेपी के लिए यह सीट बड़ी चुनौती बन गई है. माना जा रहा है, यही वजह है कि बीजेपी ब्रज भूषण को इस लोकसभा चुनाव कैसरगंज से टिकट देने के मूड में नहीं है. बीजेपी ने अब तक ब्रज भूषण को न ही इस सीट से दोबारा उम्मीदवार घोषित किया है और न ही कोई और नाम ही अब तक सामने आया है. ब्रज भूषण की छवि एक दबंग नेता की है.
कैसरगंज सीट से ब्रज भूषण शरण सिंह बीजेपी के टिकट पर तीन बार सांसद रह चुके हैं. पहले इस सीट पर सपा का दबदबा रह चुका है. सपा लगातार चार बार इस सीट से जीत हासिल करती रही है. मुलायम सिंह के करीबी रहे बेनी प्रसाद चार बार इस सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे. अब पिछले 15 सालों से यह सीट ब्रजभूषण शरण सिंह के कब्जे में है. ब्रज भूषण पर लगे आरोपों के बाद सपा को एक बार फिर से यह सीट अपने पाले में करने का बल मिल गया है. यही वजह है कि बीजेपी सोच समझकर कैसरगंज सीट पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है.
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