BJP MLA Basanagouda Patil Yatnal Letter To Karnataka Governor Thaawarchand Gehlot Demands Reject Muslim Quota Bill
Karnataka Muslim Quota Row: कर्नाटक के सीनियर बीजेपी विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने बुधवार (19 मार्च, 2025) को मुस्लिम कोटा विधेयक को लेकर राज्यपाल थावरचंद गहलोत को एक चिट्ठी लिखी और मांग की कि इसे खारिज कर देना चाहिए. इसके अलावा यतनाल ने कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता अधिनियम (केटीपीपी) में संशोधन को मंजूरी न देने की भी मांग की है.
अपनी चिट्ठी में यतनाल ने लिखा, “कर्नाटक राज्य सरकार ने सार्वजनिक अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पेश किया है, जो संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है. केटीपीपी अधिनियम में संशोधन से 2 करोड़ रुपये तक के सिविल अनुबंधों और 1 करोड़ रुपये तक के माल और सेवा अनुबंधों में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण मिलता है. केटीपीपी अधिनियम को पिछले सप्ताह कर्नाटक कैबिनेट की ओर से संशोधित और अनुमोदित किया गया है.”
‘डॉ. अंबेडकर ने धर्म आधारित आरक्षण का किया विरोध’
चिट्ठी में कहा गया, “सर, अनुच्छेद 15 में राज्य को केवल धर्म और जाति के आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव करने से प्रतिबंधित किया गया है. संविधान के प्रारूपण के दौरान डॉ. अंबेडकर ने खुद धर्म आधारित आरक्षण का विरोध किया था. अलग-अलग राज्यों में धर्म आधारित आरक्षण देने के इसी तरह के प्रयासों को अदालतों ने खारिज कर दिया है. इसके बावजूद, कर्नाटक में कांग्रेस सरकार मुस्लिम समुदाय को 4 प्रतिशत आरक्षण देकर वोट बैंक की राजनीति कर रही है.”
‘सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज किया धर्म आधारित आरक्षण’
विधायक यतनाल ने ये भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी धर्म आधारित आरक्षण को खारिज कर दिया. अदालत ने ये फैसला कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार की एक याचिका भी शामिल थी, जिसने मुस्लिम समुदायों के लिए ओबीसी वर्गीकरण को रद्द करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
विधायक यतनाल ने अपनी चिट्ठी में जोर देते हुए कहा, “महोदय, चूंकि धर्म आधारित आरक्षण न्यायिक जांच के अधीन है, इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि विधेयक को मंजूरी न दें, जो असंवैधानिक और तर्कहीन है और जिसका कोई कल्याणकारी उद्देश्य नहीं है, बल्कि एक खास समुदाय का विरोध करना है, जो कर्नाटक में सत्तारूढ़ सरकार का वोट बैंक है. महोदय, सिविल अनुबंधों में मुसलमानों को आरक्षण देने का कार्य राष्ट्रीय अखंडता, एकता और संप्रभुता को खतरे में डालता है.”
विपक्ष के विरोध के बीच सत्तारूढ़ कांग्रेस ने मंगलवार (18 मार्च, 2025) को राज्य विधानसभा में कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता संशोधन (केटीपीपी) विधेयक पेश किया.
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