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Bihar Top 10 Castes Only Sheikh Brahmin Rajput Among Leading Castes And Bhumihar Pathan Out


Bihar Caste Survey Report: बिहार के जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट में शीर्ष 10 जातियों के आंकड़े पता चलते हैं. ये शीर्ष दस जातियां आबादी के लिहाज से हैं. टॉप 10 में अगड़ी जातियों में सिर्फ शेख, ब्राह्मण और राजपूत शामिल है, जबकि भूमिहार और पठान इससे बाहर हैं.

दिलचस्प बात यह भी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस जाति से आते हैं वह टॉप दस में शामिल है लेकिन सबसे आखिरी यानी दसवें नंबर पर है. आइये जानते हैं बिहार में शीर्ष 10 जातियां कौन सी हैं, किसकी क्या आबादी है और इनमें शामिल अगड़ी जातियों में सिर्फ शेख, ब्राह्मण और राजपूत कितने हैं.

बिहार की शीर्ष 10 जातियों के आंकड़े

बिहार की कुल आबादी लगभग 13.07 करोड़ है. इसमें से शीर्ष दस जातियों में यादव- 14.2666 फीसदी (18650119), दुसाध, धारी, धरही- 5.3111 फीसदी (6943000), मोची, चमार, रविदास- 5.2550 फीसदी (6869664), कुशवाहा 4.2120 फीसदी (5506113), शेख- 3.82 फीसदी (4995897), मोमिन 3.5450 फीसदी (4634245), ब्राह्मण 3.6575 फीसदी (4781280), राजपूत 3.4505 फीसदी (4510733), मुसहर 3.0872 फीसदी (4035787) और कुर्मी 2.8785 फीसदी (3762969) हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी जाति से ही आते हैं.

टॉप 10 में सिर्फ शेख, ब्राह्मण और राजपूत अगड़ी जातियां

इन टॉप दस जातियों में अगड़ी जातियों के आंकड़े देखें तो मुस्लिम समाज से आने वाले शेख 3.82 फीसदी हैं, जिनकी संख्या 4995897 है. ब्राह्मण 3.6575 फीसदी (4781280) है और राजपूत 3.4505 फीसदी (4510733) हैं. अगड़ी जातियों में भूमिहार और मुस्लिम समाज की पठान जाति की भी गिनती होती है लेकिन ये दोनों टॉप 10 से बाहर हैं. आंकड़ों में भूमिहार कुल आबादी में से महज 2.86 फीसदी है जबकि पठान 0.7548 फीसदी है. इस प्रकार बिहार में जनरल कैटगरी यानी सामान्य श्रेणी में सबसे बड़ी आबादी शेख जाति की है और ब्राह्मण, राजपूत और भूमिहार उससे पीछे हैं.

बता दें कि बिहार कैबिनेट ने पिछले साल दो जून में जाति आधारित गणना कराने की मंजूरी देने के साथ इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की थी. राज्य सरकार को जाति आधारित गणना के काम को उस समय रोकना पड़ा था, जब पटना हाई कोर्ट ने इस अभ्यास को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगा दी थी. हालांकि, पिछले एक अगस्त को अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए बिहार सरकार के जाति आधारित गणना करने के निर्णय को सही ठहराया था.

(इनपुट भाषा से भी) 

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