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Bharatpur Farmer Built Biogas Plant Compost And Electricity Are Being Generated Rajasthan News Ann


Bharatpur News: राजस्थान (Rajasthan) के भरतपुर (Bharatpur) जिले की कुम्हेर तहसील के बाबैन गांव के किसान गोपाल सिंह ने अपने खेत में गोबर और इंसान के मल से बायोगैस बनाने का प्लांट लगा रखा है. किसान गोपाल सिंह बायोगैस से ही घर की रसोई में गैस चूल्हा जलाते हैं. बायोगैस से इंजन चलाकर उसी से अल्टरनेटर चलाकर बिजली पैदा करते हैं, जिससे वो घर की आटा चक्की, कुटी मशीन और पानी के लिए सबमर्सिबल चलाते हैं. किसान गोपाल सिंह ने बताया कि साल 1980 से ही इसमें लगे हुए थे. उन्होंने बताया कि उन्होंने एक पुस्तक पढ़ी थी. उस पुस्तक में खाद का विवरण दिया गया था. पहले और पद्धति थी ड्रम वाली, लेकिन वह पद्धति कामयाब नहीं हुई. कुछ दिन चलकर ड्रम लीक हो जाता था और गैस निकल जाती थी.
 
 गोपाल सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा किसानों को भ्रमण कराया गया. उसमें मैं गया था. साथ ही सरसों अनुसन्धान द्वारा कुछ वैज्ञानिकों को हमारे गांव में चौपाल लगाने के लिए भेजा गया था. गांव में बिजली को लेकर मैं बहुत परेशान था. मेरे 11 बच्चे नाती-पोते थे. जो बिजली के बिना पढ़ाई के लिए परेशान होते थे. गांव में कृषि कनेक्शन मिलने में पांच- छह साल लग जाते हैं.  खर्चा भी लगभग 80 – 85 हजार बताया गया था. अगर मैं इंतजार करता तो मेरे बच्चों का भविष्य खराब हो जाता. किसान गोपाल सिंह ने बताया की गांव में जो वैज्ञानिकों की टीम आई थी उनको मैंने अपनी समस्या बताई थी. तब उन्होंने मुझे दिल्ली का नंबर दिया था. 

किसान गोपाल सिंह ने क्या बताया
गोपाल सिंह ने बताया कि मैनें उनसे बात की तो उन्होंने टैंक बनाने वाले मिस्त्री भेज दिए जो नालंदा बिहार से आए थे. पहले मैंने खाद और रसोई गैस के लिए ही टैंक बनवाया था. जब टैंक बनाकर वो लोग चले गए फिर मैंने इससे इंजन चलाकर देखा. इंजन चल गया. फिर इंजन से अल्टरनेटर चलाकर बिजली भी चालू कर ली. इंजन चलने के बाद ऊर्जा पैदा हो रही थी. अब बायोगैस से रसोई में गैस- चूल्हा, आटा चक्की, कुटी मशीन और सबमर्सिबल सब चल रहा है. अब सिंचाई भी उसी से हो रही है. गोबर से गैस बनाकर रसोई में गैस चूल्हा जलाते हैं. घर के लोगों के लिए शौचालय बना है, उसके मल के लिए टैंक बनाकर उस गैस से बिजली का काम चल रहा है. उस समय प्लांट लगाने पर लगभग 60 हजार रुपये का खर्चा आया था. अब लगभग एक लाख रुपये तो खाद और डीजल की बचत हो रही है. 

 बता दें किसान गोपाल सिंह को प्रशस्ति पत्र देकर कई जगह सम्मानित किया गया है.  किसान गोपाल सिंह अब बायोगैस के प्लांट अन्य राज्यों में भी लगा रहे हैं. उनका कहना है की अब मेरे बेटे इस काम को कर रहे हैं. अजमेर से लेकर नेपाल तक और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड समेत कई राज्यों  किसान इस प्लांट को लगवा रहे हैं.  भरतपुर जिले की कुम्हेर तहसील के गांव बाबैन के रहने वाले 70 वर्षीय किसान गोपाल सिंह के तीन बेटे हैं. बड़ा बेटा लाखन सिंह और दूसरे नंबर का बेटा गुड्डू दोनों ही कृषि कार्य करते हैं और गौशाला को संभालते हैं. वहीं तीसरे नंबर का बेटा कनवर बिजली विभाग में नौकरी करता है.

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