Sports

Bee Box And Medicinal Plants Fence To Stop Smuggling On India-Bangladesh Border – भारत-बांग्लादेश सीमा पर तस्करी रोकने के लिए मधुमक्खी बॉक्स और औषधीय पौधों की बाड़



पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित तीन किलोमीटर लंबी बाड़युक्त सीमा के पास से सटे क्षेत्रों में यह दूसरी प्रतिरोधक पंक्ति तैयार की जाएगी.

‘बाड़ पर मधुमक्खी का छत्ता’ (बीहाइव्स ऑन द फेंस) को पिछले साल नवंबर में केंद्र सरकार के ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था. अधिकारियों के अनुसार, इसका उद्देश्य न केवल सीमा पार से संचालित अपराधों को रोकना है बल्कि मधुमक्खी पालन और बागवानी के माध्यम से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का सृजन करना भी है.

आयुष विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फूल वाले पौधे मधुमक्खियों के परागण के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र भी बनाएंगे.

अधिकारी ने नाम का खुलासा नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘सीमा के पास के इस हिस्से को ‘आरोग्य पथ’ नाम दिया गया है और जगह-जगह ‘क्यूआर कोड’ चस्पा किये गए हैं जिन्हें स्कैन करने पर पौधों के बारे में विवरण मिलेगा.” उन्होंने कहा कि ‘पथ’ एक महत्व नर्सरी के रूप में दोगुना हो जाता है.

परियोजना के पहले चरण के हिस्से के रूप में नादिया के कादीपुर के ग्रामीण विभिन्न कार्यों में लगे हुए हैं, जैसे कि फलदार और सुगंधित औषधीय पौधों को लगाना और उन्हें पानी देना तथा बाड़ का विस्तार करने के लिए गड्ढे खोदना. सीमा सुरक्षा बल के एक अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) की मदद से पिछले दो महीनों में धातु से बनी बाड़ के खंभों पर मधुमक्खी के 40 बक्से लगाए गए हैं.

बीएसएफ को लगता है कि छत्तों की मधुमक्खियां सीमा पार के अपराधियों और तस्करों के लिए एक निवारक के रूप में काम करेंगी जो मवेशियों, मादक पदार्थों, सोना, चांदी और अन्य वस्तुओं की तस्करी के लिए बाड़ को काटने या तोड़ने का दुस्साहस करते हैं.

केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ और अधिकारी इस परियोजना में लगे हुए हैं. तुलसी, एकांगी, सतमुली, अश्वगंधा और एलोवेरा उन पौधों में से हैं जिनकी सहायता से बाड़ बनायी जाएगी. आयुष विभाग के अधिकारी ने कहा कि एनएमपीबी और आयुष मंत्रालय द्वारा क्षेत्र में लगभग 60,000 पौधे भेजे जाने की प्रक्रिया चल रही है.

इस पहल का प्रस्ताव तैयार करने वाले बीएसएफ की 32वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) सुजीत कुमार ने कहा कि परियोजना के प्रति स्थानीय लोगों और अधिकारियों का उत्साह अद्वितीय है.

कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हमें आयुष मंत्रालय और मधुमक्खी पालन के काम में स्थानीय विशेषज्ञों से अच्छी मदद मिल रही है. हमें उम्मीद और भरोसा है कि हमारा प्रयोग सफल और प्रभावी होगा.”

भारत-बांग्लादेश सीमा लगभग 4,096 किलोमीटर लंबी है जिसका लगभग 2,217 किलोमीटर हिस्सा जिसमें पश्चिम बंगाल में है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली-एनसीआर वायु प्रदूषण: केंद्र ने गैर जरूरी निर्माण कार्य, प्रदूषण करने वाले वाहनों पर लगाई रोक

ये भी पढ़ें- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 15 से 17 जनवरी तक मेघालय और असम का दौरा करेंगी

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *