Bastar tradition Sending Friend Request from Goncha festival Considering Lord Jagannath witness ANN
Bastar Tribal Culture: दुनिया ने बीते कुछ सालों में विकास के नए आयाम स्थापिक किए हैं. इनमें से इंटरनेट में पूरी दुनिया को एक सूत्र में पिरो दिया. इंटरनेट ने देश दुनिया के दूर स्थान पर बैठे व्यक्ति से संपर्क साधने में आसानी हो. इस दौड़ भरी जिंदगी में फेसबुक, इंस्टाग्राम, मैसेंजर जैसे कई सोशल मीडिया माध्यम युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित किया.
इससे दूसरे भाषा, दूसरे समाज और देश के लोगों से दोस्ती करने में आसानी हुई है. सोशल मीडिया पर दोस्त बनाने के लिए फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजे जाने की शुरूआत भले ही कुछ समय पहले हुई है, लेकिन छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर मे इसका चलन 615 साल से जारी है.
गोंचा पर्व की रस्मों से शुरू होती है परंपरा
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर मे गोंचा पर्व पर दोस्ती या मीत बनाने से पहले रिक्वेस्ट या निमंत्रण भेजा जाता है. इसके लिए भगवान को साक्षी मानकर दो लोगों में धान की बाली, चंपा का फूल, भौजली और कमल का फूल देकर रिक्वेस्ट के तौर पर अदान प्रदान होता है और उनकी दोस्ती कायम हो जाती है. बस्तर में दोस्ती निभाने की यह अनूठी पंरपरा गोंचा पर्व के रस्मों के साथ ही शुरू होती है.
भगवान को साक्षी मानकर बांधते हैं मीत
गोंचा महापर्व समिति के अध्यक्ष विवेक पांडे बताते है कि बस्तर में मीत बांधने की परंपरा 615 साल से चली आ रही है. भगवान जगन्नाथ को साक्षी मानते हुए कई लोग मीत बंधते हैं और अलग-अलग तरह की धान की बाली, भोजली, चंपा फूल, मोंगरा फूल, गंगाजल, तुलसी के पत्ते जैसी चीजों से एक दूसरे को देकर मीत बंधते है.
फिर यह दोस्ती पारिवारिक संबंधों में बदल जाती है और दोनो परिवार एक दूसरे के हर खुशी और गम के मौके पर शामिल होते हैं. विवेक पांडे ने बताया कि गोंचा पर्व के साथ ही तीज पर्व और अन्य पर्वों में भी मीत बांधा जाता है.
सोशल मीडिया के जरिये फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजकर कई दोस्त बनते हैं और बिछड़ भी जाते हैं, लेकिन मीत बंधने का मतलब दो लोगों के बीच हुई दोस्ती पीढ़ी दर पीढ़ी निभाई जाती है. इस दौरान दो दोस्तों के परिवारों के बीच भी अच्छे संबंध हो जाते हैं, जो हमेशा निभाये जाते हैं.
बस्तर में कायम है मीत बांधने की परंपरा
जानकर हेमंत कश्यप बताते हैं कि तेज गति से आधुनिकता की ओर बढ़ते बस्तर के आदिम जनजातियों के बीच आज भी हजारों साल पुरानी परंपरा, रीति रिवाज यथावत है. बस्तर के आदिवासी अपनी अनूठी पंरपंराओं के साथ मितान बांधने की पंरपरा से जुड़े हुए हैं.
इस परंपरा के अनुसार दो मित्र या युवक युवती, दो परिवार या दो गांव के लोग एक दूसरे के साथ मित्रता के संबध बनाने के लिए एक दूसरे को तुलसी का पत्ते, धान की बाली, जौ के दाने, बस्तर में पाये जाने वाली बाली फूल को भेंट कर मित्रता के प्रति कमस खाते हैं.
बाली फूल देकर बांधा जाता है मीत
युवक युवतियों के बीच इस प्रथा को बाली फूल देकर मित्रता का सूत्र बांधा जाता है. ऐसी मान्यता है कि बदना बदने वाले परिवारों के संबंध हमेशा के लिए मजबूत हो जाते हैं. इसी पंरपरा के तहत आदिम जनजातियां अपने ईष्ट देवी देवताओं को भी बाली देकर मन्नत मांगते है.
मन्नत पूरी होने पर श्रद्धा अनुसार पूजा अर्चना करते हैं. विश्व के विकसित देश जिन रीति रिवाजों को कुछ सालों से ही मना रहे हैं, तो दूसरी ओर बस्तर की आदिम जनजातियां हजारों साल से इन रीति रिवाजों को अपनी आस्था, धार्मिक पंरपराओं से जोड़कर मनाते चले आ रहे हैं.
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