Ayodhya Ram Temple No Iron And Steel Used To Construct Ayodhya Ram Temple – अयोध्या राम मंदिर निर्माण में नहीं किया गया लोहे और स्टील का इस्तेमाल, जानें क्या है वजह?
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नागर शैली में बनाया जा रहा राम मंदिर
चंद्रकांत सोमपुरा ने राम मंदिर के आर्किटेक्चर डिजाइन को नागर शैली के हिसाब से बनाया गया है. 15 पीढ़ियों से उनका परिवार 100 से ज्यादा मंदिरों को डिजाइन कर चुका है. मंदिर का डिजाइन नागर शैली या उत्तरी भारतीय मंदिर के डिजाइन की तरह ही बनाया गया है.
सोमपुरा का कहना है, “वास्तुकला के इतिहास में राम मंदिर जैसा आर्किटेक्चर न सिर्फ भारत में बल्कि इस दुनिया की किसी भी जगह पर शायद ही कभी देखा गया होगा.”नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि तीन मंजिल के मंदिर का कुल क्षेत्रफल 2.7 एकड़ है. 57,000 वर्ग फीट में यह बनाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि राम मंदिर में लोहे या स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है, क्योंकि लोहे की उम्र सिर्फ 80-90 साल होती है. मंदिर की ऊंचाई 161 फीट यानी कि कुतुब मीनार की ऊंचाई की लगभग 70% होगी.
राम मंदिर में लगा ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और संगमरमर
केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रूड़की के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार रामंचरला ने कहा कि राम मंदिर को बनाने में सबसे अच्छी क्वालिटी वाले ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया गया है. इसको जोड़ने के लिए सीमेंट या चूने का इस्तेमाल नहीं हुआ है. पूरे स्ट्रक्चर को बनाने में पेड़ों का इस्तेमाल एक ताला और चाबी तंत्र का उपयोग किया गया है. सीबीआरआई ने कहा कि 3 मंजिल मंदिर को 2,500 साल में भूकंप से सुरक्षित रखने के हिसाब से डिजाइन किया गया है.
रेतीली जमीन पर मंदिर बनाना चुनौती था-नृपेंद्र मिश्रा
वहीं नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि सरयू नही होने की वजह से मंदिर के नीचे की जमीन रेतीली और अस्थिर थी, ऐसी जगह पर मंदिर तैयार करना बड़ी चुनौती थी. लेकिन वैज्ञानिकों ने इस समस्या का बढ़िया समाधान ढूंढ लिया. रामंचरला ने बताया कि सबसे पहले, पूरे मंदिर क्षेत्र की मिट्टी 15 मीटर की गहराई तक खोदी गई.
क्षेत्र में 12-14 मीटर की गहराई तक इंजीनियर्ड मिट्टी बिछाई गई, कोई स्टील री-बार का उपयोग नहीं किया गया, इसे ठोस चट्टान जैसा बनाने के लिए 47 परत वाले बेस्ड को कॉम्पेक्ट किया गया. इससे ऊपर 1.5 मीटर मोटी एम-35 ग्रेड मेटल फ्री कंक्रीट राफ्ट बिछाया गया. नींव को और मजबूत करने के लिए दक्षिण भारत से निकाले गए 6.3 मीटर मोटे ठोस ग्रेनाइट पत्थर बिछाया गया.
ऊपर से दिखने वाला मंदिर का हिस्सा राजस्थान से मंगवाए गए गुलाबी बलुआ पत्थर ‘बंसी पहाड़पुर’ पत्थर से बना है. सीबीआरआई के मुताबिक, ग्राउंड फलोर पर कुल 160 स्तंभे हैं. पहली मंजिल पर 132 और दूसरी मंजिल पर 74 खंभे हैं, ये सभी बलुआ पत्थर से बने हैं और बाहर की तरफ नक्काशी की गई है. वहीं मंदिर का गर्भगृह राजस्थान के सफेद मकराना संगमरमर से बना है.
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