Ayodhya Ram Mandir Inauguration Karsevak Of Jodhpur Told Story Of Ram Janmabhoomi Movement Ann | Ramlala Pran Pratishtha: जोधपुर के कारसेवक ने सुनाई राम जन्मभूमि आंदोलन की कहानी, बोले
Ram Mandir Pran Pratishtha: राम भक्त देशभर से साल 1992 के दिसंबर के महीने में अयोध्या (Ayodhya) पहुंच रहे थे. इसमें शामिल होने के लिए जोधपुर से जो कारसेवकों का जत्था निकला था, उसमें जोधपुर (Jodhpur) के रहने वाले कानराज मोहनोत भी अयोध्या निकल पड़े थे. राम जन्मभूमि के आंदोलन को लेकर देश के राम भक्तों में एक अलग ही जोश था. चारों ओर ‘बच्चा-बच्चा राम का जन्म भूमि के काम’ का और ‘रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे’ के नारों की जूंग थी.
कानराज मोहनोत ने उस आंदोलन के बारे में बात करते हुए बताया कि पूरे जोश के साथ कारसेवक अयोध्या की ओर कुच कर रहे थे. रास्ते में ट्रेन की चेकिंग की जा रही थी. पुलिस कई लोगों से पूछताछ कर रही थी. कहीं कारसेवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया. हम लोग अयोध्या से एक स्टेशन पहले उतर गए. फिर तीन चार लोगों के पैदल ग्रुप बनाए और छुपते छुपाते हनुमानगढी पहुंचे. वहां पहुंचकर जो काम था वो पूरा किया.
कारसेवक ने सुनाई राम जन्मभूमि आंदोलन की कहानी
कारसेवक कानराज मोहनोत ने बताया कि आंदोलन के वक्त का वो दिन मुझे आज भी याद है, जब मौत से मेरा सामना हुआ था. मोत मेरे पास से गुजरी थी. मेरे कान के पास से गोली निकली. मेरे साथ मेरी मां का आशीर्वाद था. प्रभु राम की कृपा से मेरी जान बच गई. पुलिसकर्मियों के द्वारा गोली चलाई जा रही थी. जो गोली मेरे कान के पास से होकर गुजरी थी, वो गोली मेरे पीछे चल रहे सेठाराम परिहार को लग गई.
कारसेवक कानराज मोहनोत ने बताया कि हम लोग उस अनजान जगह पर ना तो अस्पताल जानते थे. ना ही हमारे पास कोई साधन था. वहां के स्थानीय लोगों ने भी मदद नहीं की. आखिर डेढ़ घंटे के संघर्ष के बाद सेठाराम ने दम तोड़ दिया. अयोध्या में सेठा राम परिहार और प्रो. महेन्द्रनाथ अरोड़ा ने बलिदान दिया. अयोध्या से वैन में हम उन दोनों के शव जोधपुर लाए थे, लेकिन हमारे लिए ये एक पर गर्व की बात है कि आज तीन दशक के बाद हमारे आराध्य भगवान रामचन्द्र के मंदिर का सपना साकार होने जा रहा है.
कानराज मोहनोत के नेतृत्व में जोधपुर से 15 कारसेवक गए थे अयोध्या
कानराज मोहनोत के नेतृत्व में जोधपुर से 15 कारसेवक ट्रेन से अयोध्या गए थे. इसमें कानराज मोहनोत, रामद्वारा के संत अमृतराम महाराज, देवराज बोहरा, रेखा राम, सुरेंद्र सिंह कछवाह, घनश्याम, गणपत शर्मा, नेमीचंद डॉक्टर खेत लखानी, भंवर भारती, प्रो. महेन्द्रनाथ अरोड़ा और प्रेमदांचरण समेत अन्य लोग शामिल थे. कारसेवक कानराज मोहनोत आज 70 वर्ष के हो चुके हैं. वो आज भी राम मंदिर आंदोलन को लेकर जोश में नजर आते हैं.
बता दें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी से अलग अलग दल बनाकर कार सेवक अयोध्या पहुंचे थे. जो अयोध्या से करीब 50 से 60 किलोमीटर पहले ही उतर गए थे. सभी कारसेवक के रात के अंधेरे में जंगलों से होते हुए अयोध्या पहुंचे थे. इस दौरान कारसेवक अलग-अलग किरदार में थे. कोई भिखारी बना था तो कोई किसान.