Ayodhya Paramhans Acharya Demanded Scheduled Castes Should Also Perform Aarti In Ram Temple Warned Of Agitation ANN
Ayodhya News: उत्तर प्रदेश (UP) के अयोध्या में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के बाद जनवरी 2024 में श्री राम जन्मभूमि मंदिर (Ram Mandir) के गर्भ गृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इस कार्यक्रम से पहले ही अक्सर चर्चा में रहने वाले जगदगुरु परमहंस आचार्य (Paramhans Acharya) ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सामने अपने मांग पत्र के जरिए नई मुश्किल खड़ी कर दी है. इसी के साथ यह भी चेतावनी दे दी है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह अन्न जल का त्याग कर बड़ा आंदोलन करेंगे.
दरअसल, परमहंस आचार्य ने राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को एक मांग पत्र भेजा है. इस पत्र में रामलला को किस दिन किस समुदाय और वर्ग के लोग आरती करेंगे, इसका पूरा विवरण है. इस साप्ताहिक कैलेंडर चार्ट में सभी जातियों, वर्गों और विधाओं से जुड़े लोगों का समावेश है जबकि रामलला की आरती के लिए शुक्रवार और शनिवार दो दिन अनुसूचित जाति के समाज के लोगों के लिए आरक्षित किया गया है.
‘रामराज्य जैसा माहौल देखने को मिलेगा’
परमहंस आचार्य के मुताबिक इससे छुआछूत और भेदभाव के साथ ऊंच-नीच का भाव समाप्त होगा और एक बार फिर रामराज्य जैसा माहौल देखने को मिलेगा. वह कहते हैं कि अगर उनकी यह मांग न मांगी गई तो वह अन्न जल त्याग कर बड़ा आंदोलन करेंगे. परमहंस आचार्य ने चंपत राय को पत्र भेजकर मांग की है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की जो प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, उसी के साथ सामाजिक बुराई, छुआछूत और ऊंच-नीच का जो भेदभाव ह, उसे भी समाप्त कर दिया जाए.
आचार्य ने कहा, “मैंने सुझाव दिया है कि जैसे रविवार के दिन क्षत्रिय समाज की ओर से पूजा आरती हो, सोमवार को बैकवर्ड समाज की तरफ से आरती कराई जाए. मंगलवार के दिन जो पराक्रमी हैं, जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है, चाहे कुश्ती के क्षेत्र में, चाहे कबड्डी के क्षेत्र में, चाहे भाला फेंकने या जिन लोगों ने देश को गोल्ड मेडल दिया है, ऐसे प्रतिभावान लोगों की ओर से रामलला की आरती कराई जाए. बुधवार को जैसे अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं, बड़े लेखक हैं, बड़े साहित्यकार हैं, बड़े कवि हैं उन लोगों की तरफ से आरती कराई जाए.”
परमहंस आचार्य ने और क्या कहा?
इसी तरह बृहस्पतिवार को जैसे जगतगुरु है ,शंकराचार्य हैं, अनुजाचार्य, निंबार्काचार्य, धर्माचार्य, साधु-संत और ब्राह्मण हैं, उनसे आरती कराई जाए. शुक्रवार और शनिवार को अनुसूचित जाति समाज की ओर से आरती कराई जाए. इससे देश का नाम रोशन करने वाले प्रतिभाशाली लोग भी आ जाएंगे, बुद्धिजीवी लोग भी आ जाएंगे और छुआछूत और ऊंच-नीच का भेदभाव भी समाप्त हो जाएगा क्योंकि सनातन धर्म में कभी छुआछूत नहीं रही, कभी ऊंच-नीच का भेदभाव नहीं रहा, यह तो जब मुगल आए और अंग्रेज आए तो फूट डालो राज्य करो के तहत, फूट कैसे डालेंगे भाई को भाई से लड़ाने के लिए, पड़ोसी को पड़ोसी से लड़ाने के लिए, कभी जाति के नाम पर लड़ाते रहे.
परमहंस आचार्य ने आगे कहा, “ये सभी कहीं भाषा के नाम पर लड़ाते रहे, कहीं क्षेत्रवाद के नाम पर लड़ाते रहे इसलिए मुगलों और अंग्रेजों की ओर से जो नफरत फैलाई गई है उसको समाप्त किया जाए. राम मंदिर के साथ-साथ फिर से एक बार रामराज्य जैसा माहौल देखने को मिले, इसलिए हमने आज पत्र भेजा है और छुआछूत समाप्त करने के लिए अगर मेरी बात नहीं मानी गई तो अन्न जल का परित्याग करके फिर मैं आमरण अनशन करूंगा. हमने राम मंदिर का अंतिम निर्णायक आंदोलन किया, हमने हिंदू राष्ट्र आंदोलन की शुरुआत की और एक बार फिर सामाजिक बुराई छुआछूत को समाप्त करने के लिए जरूरत पड़ी तो मैं बड़ा आंदोलन करूंगा.”
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