Ayodhya Babri Ekta Masjid Demand to build Indian Union Muslim League submitted memorandum to President ann
Ayodhya Masjid: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या विवाद हल हो गया और विवादित भूमि हिंदू पक्ष को तो 5 एकड़ भूमि मस्जिद निर्माण के लिए धन्नीपुर में सुन्नी सेंट्रल बैंक बोर्ड को दी गई थी. हिंदू पक्ष को दी गई जमीन पर श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण तो लगभग हो गया लेकिन मस्जिद की जमीन वीरान पड़ी है. इसी को लेकर अब इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की तरफ से राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी अयोध्या को ज्ञापन सौंपा गया है.
जिलाधिकारी को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि “जिस समय बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ उस समय वह केंद्र सरकार की सुरक्षा में थी, इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को बाबरी मस्जिद के निर्माण के लिए सहयोग देना चाहिए. नैतिकता के आधार पर मस्जिद का मुआवजा देना चाहिए और यह मस्जिद दिल्ली की जामा मस्जिद, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, मौलाना उमेर इलियासी, मौलाना अरशद मदनी, सैयद सादिक अली, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के द्वारा ही बाबरी एकता मस्जिद का निर्माण हो. इससे न सिर्फ भारत का लोकतंत्र और संविधान ही नहीं प्रधानमंत्री के नारे सबका साथ सबका विश्वास और सब का सम्मान भी सार्थक होगा.
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष नजमुल हसन गनी ने कहा कि, यह स्टेट गवर्नमेंट और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है. जब सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया कि यहां पर मंदिर बने और वहां पर मस्जिद बने तो 5 एकड़ जमीन जो धन्नीपुर में हम लोगों को दी गई है, उस पर उनको चाहिए कि बनाना शुरू कर दें. पहले गेट ही बना दे. इसके बाद उसकी सड़क बना दें, उसके बाद अस्पताल लाइब्रेरी और जो मल्टी परिसर बनाने की बात कही गई है उसे बनाएं.
नजमुल हसन गनी ने कहा कि, जहां तक मस्जिद की बात है तो उसे हम मुसलमान लोग दो रुपया और 5 रुपया चंदा करके हम लोग बना लेंगे, लेकिन शासन का सहयोग हो और शासन सहयोग तो करें. मेरी महामहिम से गुजारिश है और यही हमने ज्ञापन दिया है.
राष्ट्रपति के नाम के डीएम को सौंपा ज्ञापन
महामहिम के नाम द्वारा जिलाधिकारी उसे मेमोरेंडम में हमने यही मांग की है कि जिस तरह हम दो भाई हैं हिंदुस्तान में और माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हमको जमीन दी है तो इसमें शुरुआत कर दें यह राज्य सरकार और केंद्र सरकार शुरुआत कर देगी तो मस्जिद तो बन जाएगी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड को जमीन दी तो जो बजट देते हैं, उसे पहले दे दे उसमें उन्होंने कहा कि मल्टी कंपलेक्स बनेगा, उसमें उन्होंने कहा कि वहां लाइब्रेरी बनेगी उन्होंने कहा कि एक अस्पताल भी बनेगा यह सब ऐसे नहीं बनेगा जब तक की केंद्र सरकार और राज्य सरकार सहयोग नहीं करेंगे तबतक मस्जिद नहीं बन पाएगी .
पूर्व पैरोकार बाबरी मस्जिद मोहम्मद खलीक अहमद ने कहा, इसका कारण यह है कि जो सुप्रीम कोर्ट में जमीन एलाट की वह अपने आप में वाजिब थी. इसका कारण यह था कि जब मुकदमा लड़ रहे थे 50 साल तक मुकदमा लड़ा, वह जमीन उनको नहीं दी गई जमीन किसको दी गई सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी गई. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड गवर्नमेंट बॉडी है यानी स्टेट गवर्नमेंट के कंट्रोल में है.
“मुसलमानों के नाम पर ट्रांसफर हो जमीन”
यूपी सरकार योगी आदित्यनाथ के अंडर में है मुसलमान को जब जमीन दी ही नहीं गई तो मुसलमान क्यों ले ले मान लीजिए चंदा करके व्यवस्था करके मुसलमान बना भी ले तो मालिक कौन बनेगा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड बनेगा इसलिए हमें मस्जिद बनानी होगी तो कहीं और बनाएंगे हम तो कहेंगे कि निर्णय ही गलत है. जब वहां पर मंदिर मस्जिद लाइब्रेरी बननी थी तो मस्जिद कहां चला गया. यहां का जो नमाज़ी है, नमाज पढ़ने के लिए 22 किलोमीटर दूर जाएगा, इसलिए हमने जजमेंट के खिलाफत नहीं की लेकिन उसे स्वीकार भी नहीं किया, नहीं तो मस्जिद बन जाती. उस जमीन पर मस्जिद नहीं बन सकती. अगर बननी है तो पहले जमीन को मुसलमान को ट्रांसफर की जाए तो 1 दिन में मस्जिद बन जाएगी.
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