Assam Encounters Prashant Bhushan demands for independent probe Supreme Court says not possible | ‘मायलॉर्ड जांच करवाएं, असम के फर्जी एनकाउंटर के आंकड़े हैरान कर देंगे’, प्रशांत भूषण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (4 फरवरी, 2025) को उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें मई 2021 से अगस्त 2022 के बीच असम में हुए 171 पुलिस एनकाउंटर्स पर सवाल उठाए गए हैं. याचिका में एनकाउंटर्स की जांच की मांग की गई है. इस पर कोर्ट ने कहा कि एक-एक एनकाउंटर की जांच संभव नहीं है. कोर्ट ने कहा कि वह सिर्फ यह देख सकता है कि उसके उन दिशा-निर्देशों का पालन किया गया या नहीं, जो उसने पीयूसीएल बनाम महाराष्ट्र सरकार केस में दिए थे.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने याचिकाकर्ता आरिफ मोहम्मद यासीन जवादर की ओर से पेश एडवोकेट प्रशांत भूषण से कहा कि अदालत के लिए हर एनकाउंटर की जांच करना संभव नहीं है. प्रशांत भूषण ने पीड़ित परिवारों और घायल लोगों की ओर से लिखे गए पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि यह आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि 2021 से 2022 के बीच हुए 171 एनकाउंटर्स में से 80 फर्जी थे, जिनमें 28 लोगों की जान चली गई. इसमें कहा गया कि मरने वाले कोई खूंखार अपराधी नहीं थे और सभी एनकाउंटर में पुलिस की कार्यप्रणाली एक जैसी थी. याचिकाकर्ता ने मामले की किसी स्वतंत्र एजेंसी जैसी सीबीआई, एसआईटी, सीआईडी या किसी और पुलिस स्टेशन के सीनियर की निगरानी में जांच की मांग की है.
प्रशांत भूषण ने कहा कि 2014 के पीयूसीएल बनाम महाराष्ट्र मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित दिशा-निर्देशों का घोर उल्लंघन किया गया है. उन्होंने कहा कि घायलों और मृतकों के परिवारों की ओर से दिए गए बयानों से यह देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि मुठभेड़ के इन मामलों में दर्ज ज्यादातर प्राथमिकी पीड़ितों के खिलाफ हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार मामला इनमें शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज किया जाना चाहिए.
असम सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें याचिका में दी गई सामग्री और दावों पर गौर करने की जरूरत है. याचिका की प्रामाणिकता और उद्देश्य पर सवाल उठाते हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है. पीठ ने मामले की सुनवाई अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. सुप्रीम कोर्ट गुवाहाटी हाईकोर्ट के जनवरी 2023 के आदेश को चुनौती देने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें असम पुलिस की ओर से की गई इन मुठभेड़ों के संबंध में दाखिल एक जनहित याचिका खारिज कर दी गई थी.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में असम सरकार की ओर से उसके समक्ष दायर हलफनामे का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि मई 2021 से अगस्त 2022 तक 171 घटनाएं हुईं, जिनमें हिरासत में मौजूद चार कैदियों सहित 56 लोगों की मौत हो गई और 145 घायल हो गए. पिछले साल 22 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने असम पुलिस द्वारा मई 2021 से अगस्त 2022 तक की गई 171 मुठभेड़ों से जुड़े मुद्दे को बहुत गंभीर करार देते हुए इन मामलों की जांच सहित विस्तृत जानकारी तलब की थी. जुलाई, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने संबंधी याचिका पर असम सरकार और अन्य से जवाब मांगा था.
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